संदीप शर्मा
लोकसभा चुनावों के लिए राजनीतिक दल अपनी रणनीति बना रहे हैं। शतरंज के मोहरों की तरह बहुत सोच समझकर चाल चलने वाले चुनावी रणनीतिकार शह और मात के खेल में वोटर को समझाने, रिझाने और मनाने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं,किस्म-किस्म के नारे इजाद कर रहे हैं। अब बात आती है जनता जनार्दन की। जनता किस दल पर और किस प्रत्याशी पर किस कदर मतदान करने के लिए मोहित होती है इस बात का खुलासा तो आगामी 4 जून को ही होगा लेकिन सबसे अहम बात यह है कि वोटिंग प्रतिशत में कितना इजाफा होता है। हमें अपने मताधिकार का प्रयोग करना है और सोच समझकर करना है यह बात हमें अपने मन मस्तिष्क में रखनी चाहिए। मतदान को लेकर युवा मतदाताओं में खासा उत्साह देखने को मिलता है विशेषकर जो युवा वोटर पहली बार वोट डालते हैं उनका उत्साह और उमंग काबिलेतारीफ होती है। लेकिन मतदान अधिक से अधिक हो इसके लिए हमें अपने-अपने स्तर पर भी प्रयास करने चाहिए। कई लोग ऐसे होते हैं जो मतदान की अहमियत से अनजान होकर भी मतदान के दिन सैर-सपाटे पर निकल पड़ते हैं। कई ऐसे आरामपरस्त लोग भी होते हैं जो वोटिंग की अहमियत को यह सोचकर कम कर देते हैं कि क्या फर्क पड़ता है जो वो अपना एक वोट नहीं देंगे। ऐसा तो नहीं है कि उनके वोट नहीं देने से चुनाव का परिणाम नहीं आएगा। वोट नहीं देने से बहुत फर्क पड़ता है। वोट नहीं देने से चुनाव का नतीजा तो ज़रूर आएगा लेकिन फिर ऐसे लापरवाह वोटर बहुत कुछ करने और कहने के हकदार नहीं रह पाते हैं। ऐसे लापरवाह लोग लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक घुन की तरह होते हैं जो जनादेश देने में तो बेपरवाह बने रहते हैं लेकिन सरकारों को कोसने और सिस्टम में खामियां गिनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं। बहुत सीधे और सरल शब्दों में कहा जाए तो कुछ कहने का हक भी उसी का होता है जो कुछ करता है। सरकारें जनादेश का किस तरह से और कितना सम्मान करतीं हैं इस पर बोलने का हक सिर्फ और सिर्फ उन्हीं लोगों को होना चाहिए जो स्वेच्छापूर्वक निर्भीक और निष्पक्ष मतदान करते हैं। निर्वाचन आयोग मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए हर चुनाव में हर संभव प्रयास करता है। जगह-जगह मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। वोट डालकर आने वाले वोटर के लिए सेल्फी प्वाइंट भी बनाए जाते हैं। ग्रामीण इलाकों में पंचायत स्तर से लेकर ब्लाॅक स्तर तक मतदान की जरूरत बताई जाती है। नगरीय और शहरी आबादी में आरडब्ल्यूए और एनजीओ मतदाता जागरूकता अभियान चलाते हैं। आज का वोटर पढ़ा लिखा वोटर है इसलिए उसको किसी पार्टी और नेता के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उसे मन और मस्तिष्क से फ्री और फेयर इलेक्ट्रॉल सिस्टम में सहभागिता निभानी होगी जिससे कि राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो।