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गुस्ताख़ी माफ़ 10.4.2024
मौक़ा मिलते ही करें, घर अपना आबाद।
किसी बड़े परिवार के, बन जायें दामाद।
बन जायें दामाद, सियासत में हो सारे।
करें देश पर राज, दलों के बनें दुलारे।
कह साहिल कविराय, लगायें डेली चौका।
मिले सियासी सास, किसे मिलता है मौक़ा।
प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल