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हरियाणा : लोकायुक्त ने चीफ विजिलेंस अधिकारी को ही तलब कर लिया भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में

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प्रॉपर्टी आई सर्वे केस में कंपनी और 12 अफसरों को क्लीन चिट देकर बिना वेरिफिकेशन बांटे 63 करोड़

चंडीगढ़ 24 अगस्त। लोकायुक्त ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस अधिकारी को ही भ्रष्टाचार के मामले में तलब कर लिया। यह कार्यवाही लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा ने की। यह मामला प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 12 आईएएस अफसरों और सर्वे करने वाले याशी कंपनी को जांच में क्लीन चिट देने का है।
जानकारी के मुताबिक जस्टिस वर्मा ने इस मामले में कंप्लेंट करने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर को भी मौजूद रहने के लिए कहा है। सभी पक्षों को 11 सितंबर को कोर्ट बुलाया गया है। लोकायुक्त कोर्ट में पिछले साल 19 जुलाई को आरटीआई एक्टिविस्ट कपूर ने दस्तावेजों सहित लिखित शिकायत देकर 12 अधिकारियों और याशी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। बताते हैं कि इस शिकायत में आरोप लगाया था कि याशी कंपनी के सर्वे में बड़ा घोटाला हुआ है। सर्वे की फिजिकल वेरिफिकेशन किए बिना अधिकारियों ने साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी कर याशी कंपनी को करीब 63 करोड़ रुपए की पेमेंट जारी करा दी। जबकि सर्वे में कई गलतियां थीं।
लोकायुक्त ने एसीबी से रिपोर्ट ली :
लोकायुक्त जस्टिस वर्मा ने आरटीआई एक्टिविस्ट की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो यानि एसीबी से प्राथमिक जांच रिपोर्ट मांगी। जिसके बाद शहरी निकाय विभाग के प्रधान सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। इसी बीच 6 मई, 2024 को अपनी जांच रिपोर्ट में निकाय विभाग के चीफ विजिलेंस ऑफिसर जेएस बोपाराय ने याशी कंपनी समेत 12 अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी। शिकायतकर्ता ने सीवीओ की इस जांच रिपोर्ट को गलत बताया और लिखित तौर पर चुनौती देते हुए इसे रद करके घोटाले की एंटी करप्शन ब्यूरो से विस्तृत जांच कराने की मांग की। जिस पर लोकायुक्त ने निकाय विभाग के सीवीओ को तलब किया है।
दरअसल यह था पूरा गोलमाल :
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर के मुताबिक सीवीओ की जांच रिपोर्ट में 88 शहरों में कुल 42,70,449 प्रॉपर्टियों का सर्वे किया गया था। इनमें से करीब आधी यानी 21.35 लाख प्रॉपर्टियां तो खाली प्लॉट, निर्माणाधीन या बंद पड़े भवन थे। फिर भी अधिकारियों ने याशी कंपनी को इन सबका भुगतान कर दिया। सर्वे कंपनी को भुगतान से पहले सभी प्रॉपर्टियां के 10वें हिस्से की फिजिकल वेरिफिकेशन की जानी थी। प्रॉपर्टी आईडी सर्वे का डेटा 16 नवंबर, 2022 को एनडीसी पोर्टल पर ऑनलाइन करने से 21 मार्च 2023 तक 15 माह में कुल 8,02,480 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल 18,74,676 आपत्तियां दर्ज कराई। यानि हर महीने औसतन 52,523 प्रॉपर्टी मालिकों ने कुल करीब 1,25,000 आपत्तियां दर्ज कराईं।

खट्‌टर सरकार में किया ‘बड़ा खेला’
बन सकता है यह बड़ा चुनावी मुद्दा

आरटीआई एक्टिवस्ट कपूर ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार की यह फ्लैगशिप योजना बड़े भ्रष्टाचार के चलते प्रदेशवासियों के लिए जी का जंजाल बनी। आज तक रोजाना हजारों लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त कराने के लिए धक्के खा रहे हैं। दलालों के पास लुट रहे हैं। सरकार ने इस घोटाले में संलिप्त 12 अधिकारियों को बचाने के लिए उनके दबाव में याशी कंपनी को क्लीन चिट दी।
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