कांवड़ियों की सुविधा के लिए दुकानदार अपनी दुकानों के आगे लिखेंगे अपने नाम और ‘डिटेल’
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के सबसे बड़े प्रदेश यूपी में हैरान करने वाला एक फरमान जारी हो गया। यह आदेश किसी नौकरशाह यानि सरकारी-अफसर ने नहीं, बल्कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल अमल में लाने की मंशा से जारी किया है। जिसके मुताबिक कांवड़ियों के रास्तों पर पड़ने वाली दुकानों में दुकानदार को अपना नाम लिखना होगा। इसमें दुकान मालिक का नाम और ‘डिटेल’ लिखी जाएगी। वैसे तो सीएम के ऐलान से तीन दिन पहले ही यूपी में संवेदनशील माने जाने वाले मुस्लिम बाहुल्य जिले मुजफ्फरनगर में पुलिस ने इस पर अमल कर डाला। यह उससे बड़ा हैरानी वाला चर्चा का विषय है। पुलिस ने वहां तो दुकानदारों को फरमान सुनाया कि वे दुकानों के आगे अपने नाम लिखें। पुलिस का तर्क था कि इससे कांवड़ यात्रियों को कंफ्यूजन नहीं होगा। मतलब, सीधे तौर पर उनको दुकानदार का धर्म पता चल सकेगा। इस पर विपक्ष ने विरोध किया तो हो-हल्ला मचते ही वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने सूबे की योगी सरकार के बचाव में दलील दी थी कि ऐसा पुलिस ने हड़बड़ी में गड़बड़ी वाला आदेश लागू करा दिया।
खैर, अब नकवी जैसे नेता खुद सीएम योगी द्वारा इस आदेश पर मुहर लगाने के बाद क्या कहेंगे। अब जरा योगी सरकार का इस मामले में तर्क भी देख-समझ लें। सीएम योगी ने शुक्रवार को साफ कहा कि कांवड़ यात्रियों की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया है। इसके अलावा, हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई होगी।
यहां गौरतलब है कि इस साल कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी। यूपी में हर साल 4 लाख कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लेकर आते हैं। इस बात में किसी को कतई विरोध नहीं कि कांवड़ियों की धार्मिक भावनाओं का विशेष ख्याल रखा जाए। इसीलिए कांवड़ियों के लिए रास्तेभर में लंगर लगाने के अलावा विश्राम गृह भी बनाने की अनुमति धार्मिक संगठनों को दी जाती है।
योगी सरकार के फैसले को मायावती ने असंवैधानिक बताते आरोप जड़ा कि यह फैसला चुनावी लाभ के लिए है। सरकार की यह प्रयास धर्म विशेष के लोगों का आर्थिक बायकाट करने का है। खुद सीएम रही मायावती का आरोप महज सियासी इसलिए नहीं लगता, क्योंकि लगे हाथों यूपी में बीजेपी की प्रतिक्रिया भी देख लें। भाजपा प्रवक्ता प्रशांत उमराव ने अपने सोशल अकाउंट X पर साफ लिखा कि कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के नाम लिखने क्यों जरूरी हैं। उन्होंने मुस्लिम दुकानदारों की तरफ इशारा करते लिखा कि कितने बेगैरत और बेशर्म लोग हैं। होटल, ढाबा का नाम हिंदू देवताओं के नाम पर रखेंगे। धंधा हिंदुओं से करना चाहेंगे, जिन्हें काफिर कहते हैं, लेकिन बोर्ड पर अपना नाम लिखने में शर्म आती है।
इस मुद्दे पर यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने कहा कि यह पूरी तरीके से अव्यावहारिक कार्य है। वे समाज में भाईचारे की भावना को खराब करने का कार्य कर रहे हैं। इसको तत्काल निरस्त करना चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रधान व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने X पर लिखा कि कोर्ट को इस मामले पर खुद एक्शन लेना चाहिए। ऐसे आदेश की जांच कराई जाए। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं।
आईआईएमएम के सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा कि ठेले मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से किसी मुसलमान की दुकान से कुछ ना खरीद लें। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथेड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबॉयकॉट था।
गीतकार जावेद अख्तर ने X पर लिखा कि मुजफ्फरनगर पुलिस ने आदेश दिया है कि कांवड़ यात्रा के रूट पर सभी दुकानदार, रेस्टोरेंट संचालक, वाहनों के मालिक अपना नाम स्पष्ट लिखवाएं। क्यों ? नाजी जर्मनी में केवल विशेष दुकानों और घरों पर निशान बनाए जाते थे।
इस विवाद की जड़ों में जाएं तो वही धार्मिक-उन्मादता इसके पीछे भी है, जिसमें एक पक्ष दूसरे को उकसाने की शुरुआत करता है। दरअसल सबसे पहले बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि कांवड़ रास्ते पर पड़ने वाले मुस्लिम होटल संचालक अपना नाम नहीं लिखेंगे तो आंदोलन छेड़ देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल खोले हैं। इससे श्रद्धालु भ्रमित हो जाते हैं। पुलिस जांच में ऐसे 8 होटल मिले, जो मुसलमानों के थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे गए थे। इसके बाद मुजफ्फर नगर के एसएसपी अभिषेक सिंह ने अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें और वहां काम करने वालों के नाम बोर्ड पर लिखवा दें। शायद यही से यह आइडिया उपजा और सरकारी फरमान में तब्दील हो गया।
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