आज भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट लेकर आया और पहली बार ₹90/$ के पार चला गया। मार्केट खुलते ही रुपया 89.87/$ की जगह 89.97/$ पर ओपन हुआ और कुछ ही देर में तेज़ डॉलर खरीद के कारण फिसलकर ₹90.14/$ के ऑल-टाइम लो पर पहुंच गया। यह पहली बार है जब भारतीय करेंसी ने 90 का लेवल तोड़ा है, जिससे मार्केट में हलचल मच गई है।
रुपये की इस गिरावट के पीछे कई कारण हैं, अमेरिकी डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है, दुनिया भर के इन्वेस्टर्स सुरक्षित इन्वेस्टमेंट की तलाश में डॉलर की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं, विदेशी फंड (FII) भारतीय मार्केट से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे डॉलर की डिमांड बढ़ रही है, और ग्लोबल अनिश्चितता जैसे अमेरिका की नीतियां, ब्याज दरों पर कंफ्यूजन और कई देशों में तनाव—इन सबने रुपये को कमजोर किया है। 90/$ के पार जाना सिर्फ एक नंबर का टूटना नहीं है, बल्कि यह मार्केट में भरोसे की कमी को भी दिखाता है।
इसके कारण इंपोर्ट महंगा होगा, पेट्रोल-डीजल की लागत बढ़ सकती है, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सामान महंगे होंगे, विदेशों में पढ़ने या घूमने वालों का खर्च बढ़ जाएगा और कंपनियों का फॉरेक्स रिस्क भी बढ़ेगा। हालांकि निर्यातकों को थोड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन इतनी बड़ी गिरावट उनके लिए भी अनुकूल नहीं है क्योंकि इससे बिजनेस प्लानिंग प्रभावित होती है।
आमतौर पर आरबीआई इस स्थिति में डॉलर बेचकर रुपया संभालने की कोशिश करता है, लेकिन 90/$ का टूटना दिखाता है कि मार्केट में दबाव काफी ज्यादा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर ग्लोबल सिचुएशन नहीं सुधरी तो रुपया और कमजोर हो सकता है, और अब मार्केट की नजर आरबीआई की अगली चाल और डॉलर की भविष्य की दिशा पर टिकी हुई है।
