लुधियाना 2 दिसंबर। लुधियाना नगर निगम में अब भ्रष्टाचार का दीमक इस कदर लग चुका है कि अब बिना घोटाले व रिश्वत के कोई विकास कार्य होना संभव ही नहीं है। दरअसल, गुरु नानक स्टेडियम में फ्लड लाइटें लगाई जानी है। जिसमें पुरानी लाइटें बदलकर उसकी जगह सिर्फ नई लाइटें ही फिट की जानी है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि लाइटें बदलने के लिए भी चार करोड़ का टेंडर तैयार किया गया था। लेकिन यूटर्न टाइम अखबार द्वारा इस मुद्दे को प्रमुख्ता से प्रकाशित करने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन चर्चाएं हैं कि अब एक एक्सियन द्वारा फिर से इस टेंडर को अंजाम देने की तैयारी कर ली गई है। चर्चाएं हैं कि एक्सियन जोहल इस टेंडर को लेकर काफी संजीदा नजर आ रहे हैं। चर्चाएं हैं कि इस पूरे खेल में एक्सियन और एक अन्य उच्च अधिकारी के बीच खिचड़ी पक रही है। चर्चाएं हैं कि इस पूरे टेंडर में 100 में से 150 प्रतिशत घोटाला होने की चर्चाएं हैं। लेकिन अब देखना होगा कि क्या लोकल बॉडी विभाग पंजाब और मंत्री इस घोटाले को रोक पाते हैं या नहीं।
एसई संजय कंवर ने तैयार किया था टेंडर
जानकारी के अनुसार रोज गार्डीन रेनोवेशन टेंडर में कमिशन मांगने के आरोप में गिरफ्तार किए गए एसई संजय कंवर द्वारा स्टेडियम में लाइटें लगाने का टेंडर तैयार किया था। जिसमें कि इन 100 से 125 लाइटें लगाई जानी है। स्टेडियम में पहले ही पुरानी लाइटें लगी है। सिर्फ उन्हें बदलकर नया लगाना है। जिसके लिए एसई कंवर द्वारा चार करोड़ का टेंडर तैयार किया गया था।
तीन बार लगा टेंडर, तीनों बार एक ही कंपनी ने दी बीड
जानकारी के अनुसार पहले स्टेडियम में फ्लड लाइटें लगाने के लिए एसई संजय कंवर द्वारा मार्च 2025 में टेंडर लगाया। चर्चा है कि सेटिंग न बैठने के चलते टेंडर अलॉट नहीं हो सका। जिसके बाद यह टेंडर मई 2025 में लगा। लेकिन तब एसई कमीशन के आरोप में गिरफ्तार हो गए थे। जिसके बाद अब तीसरी बार टेंडर लगाया गया। जिसे लेकर 18 अगस्त को प्रीबीड की मीटिंग भी हुई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि तीन बार टेंडर बीड में सिर्फ विवेक एंटरप्राइजेज कंपनी ही रखी गई। जबकि तीसरी बार शुभाष एंड संस ने टेंडर डाला तो उसे बाहर कर दिया गया।
निगम कमिश्नर को हुई थी शिकायत
पहले यह टेंडर हैबोवाल रघुबीर पार्क की विवेक एंटरप्राइजेज कंपनी को दिया गया था। इसमें चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन लाइटों के लिए तीन बार टेंडर लगाए गए, तीनों बार एक ही कंपनी द्वारा इसमें बीड दी गई। जब दूसरी कंपनी होशियारपुर की शुभाष एंड संस ने बीड देने का प्रयास किया तो उसे डिसक्वालिफाई कर दिया गया। शुभाष एंड संस कंपनी द्वारा नगर निगम कमिश्नर को शिकायत भी की गई थी। शिकायत में बताया गया कि जिस कंपनी को टेंडर दिया, वे तय शर्तों और नियमों के तहत दिया ही नहीं जा सकता था। लेकिन फिर भी अधिकारियों द्वारा उक्त टेंडर को अलॉट कर डाला।
पहले रखी शर्तें, फिर एकदम से हटाई
सबसे पहले जब टेंडर लगा तो शर्त थी कि यह उसी कंपनी को मिलेगा, जिसने पहले दो करोड़ के टेंडर की फ्लड लाइटें लगाई हो। जिसके बाद फिर शर्तों में थोड़ा बदलाव हुआ। लेकिन अब तीसरी बार दो करोड़ वाली शर्त एकदम ही साइड़ कर दी गई। अब सिर्फ शर्त रखी गई कि टेंडर उसे मिलेगा, जिसने कम से कम 30-35 फ्लड लाइटें लगाई हों। यह नई शर्तें प्रीबीड की मीटिंग के दौरान तय की गई।
सिर्फ लाइटें बदलने का काम, करोड़ों के टेंडर की नहीं जरुरत
एक्सपर्ट के मुताबिक स्टेडियम में सिर्फ फ्लड लाइटें बदली जानी है, जबकि खंभे पुराने वाले ही रहेगें। एक्सपर्ट मुताबिक करीब सो या सवा सो लाइटों के लाइटें इलेक्ट्रिशियन द्वारा भी लगाई जा सकती है। इसके लिए इतना बड़ा टेंडर डालने की जरुरत ही नहीं है। एक्सपर्ट मुताबिक वैसे भी यह लाइटों का काम करीब 1 करोड़ रुपए में हो सकता है। इसके लिए इतना बड़ा टेंडर लगाने की जरुरत नहीं है।
लाइटें अलग से खरीदी जाएंगी
वहीं चर्चा है कि यह टेंडर सिर्फ लाइटें लगाने के लिए अलॉट होना है। जबकि लाइटें तो निगम द्वारा अलग से खरीदकर दी जाएंगी। जबकि इन लाइटों को नामी कंपनी से खरीदा जा रहा है। जिसकी एक साल की गारंटी भी होगी। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि सिर्फ लाइटें लगाने के लिए चार करोड़ खर्च किए जा रहे हैं।
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