चंडीगढ़ के उद्योगपतियों का बड़ा विस्फोट: MHA टीम के सामने फूटा गुस्सा, बोले—“राहत नहीं मिली तो शहर छोड़ देंगे”
चंडीगढ़: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) से आई उच्चस्तरीय टीम के साथ हुई बैठक में चंडीगढ़ के उद्योगपतियों का गुस्सा खुलकर सामने आया। सेक्टर-31 स्थित पीएचडी चैंबर में आयोजित इस बैठक में उद्योग प्रतिनिधियों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए साफ कहा कि अगर हालात नहीं सुधरे तो वे चंडीगढ़ छोड़कर अन्य राज्यों में निवेश करेंगे।
उद्योगपतियों ने UT प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि शहर में इंडस्ट्री के लिए वातावरण लगातार प्रतिकूल होता जा रहा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अगर नए कलेक्टर रेट के अनुसार प्रशासन इंडस्ट्रियल प्लॉट की चाबियां वापस ले और निर्धारित कीमत अदा करे, तो वे चंडीगढ़ से कारोबार समेटने को भी तैयार हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि 1972 से विकसित इंडस्ट्रियल एरिया की कभी कोई सुध नहीं ली गई। जुर्माने के मनमाने रेट, कोर्ट में राहत मिलने के बाद भी पेनल्टी वापस न करना और हर मामले को MHA को भेज देना—इन सबने उद्योगों का विश्वास तोड़ दिया है।
फ्लोर एरिया रेशो (FAR) बढ़ाने और अतिरिक्त मंजूर क्षेत्र के लिए 42 लाख की भारी-भरकम फीस पर भी उद्योगपतियों ने कड़ी आपत्ति जताई। MHA टीम ने इस शुल्क पर हैरानी जताते हुए अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा।
बैठक में प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विक्रम चोपड़ा ने शेयर-वाइज प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन तीन साल से बंद होने का मुद्दा उठाया, जबकि सुनील खेतरपाल ने इंडस्ट्री से जुड़े अन्य अहम मुद्दों पर प्रशासन की विफलता को रेखांकित किया।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ में तीन औद्योगिक क्षेत्र हैं—फेज-1 (776.14 एकड़), फेज-2 (486 एकड़) और फेज-3 (153 एकड़), जिसमें फेज-3 अब तक विकसित नहीं हुआ है। उद्योगपतियों का कहना है कि UT मॉडल उन्हें राहत नहीं, बल्कि नुकसान दे रहा है।
MHA टीम बुधवार को प्रशासनिक अधिकारियों से अलग बैठक कर अपनी विस्तृत रिपोर्ट मंत्रालय को भेजने की तैयारी में है, जिससे आगे की नीति तय होगी।
