साइबर अटैक्स का खतरा हर दिन बढ़ता जा रहा है और यह अब आम लोगों से लेकर बड़ी कंपनियों तक सबके लिए परेशानी का कारण बन चुका है। आज के समय में साइबर सिक्योरिटी सिर्फ आईटी टीम का काम नहीं रहा, बल्कि हर मॉडर्न बिज़नेस की स्ट्रैटेजी और रिस्क मैनेजमेंट का अहम हिस्सा बन गई है। साइबर अटैक्स सीधा ऑपरेशंस, ब्रांड की इमेज और कंपनियों की कमाई पर असर डालते हैं। कॉमकास्ट बिज़नेस ने अपनी 2025 साइबर सिक्योरिटी थ्रेट रिपोर्ट जारी की है।
यह रिपोर्ट 1 जून 2024 से 31 मई 2025 के बीच दर्ज किए गए 34.6 बिलियन साइबर इवेंट्स पर आधारित है। रिपोर्ट के मुताबिक साइबर अटैक अब पहले से ज्यादा तेज, खतरनाक और एआई -ड्रिवन हो चुके हैं। ऐसे में कंपनियों को अपनी सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी और टेक्नोलॉजी को जल्दी-जल्दी अपग्रेड करने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कई प्रमुख अटैक तरीकों का जिक्र है, जैसे फिशिंग अटैक जिसमें छोटी गलती या कमजोर पासवर्ड का फायदा उठाया जाता है। इसके अलावा ड्राइव-बाय अटैक भी सामने आए हैं जिन्हें किसी यूज़र क्लिक की जरूरत नहीं होती। DDoS अटैक शॉर्ट बर्स्ट में सिस्टम को डाउन कर देते हैं, जबकि रिसोर्स डेवलपमेंट इवेंट्स बताते हैं कि अटैकर्स अपना इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार बढ़ा रहे हैं। लोथल यानी लिविंग ऑफ लैंड एक ऐसा तरीका है जिसमें वैलिड टूल्स का इस्तेमाल करके हैकर्स नेटवर्क में अंदर तक पहुंच जाते हैं और पकड़े भी नहीं जाते। रिपोर्ट का एक बड़ा फोकस “मानव समीकरण” है।
यानी साइबर सिक्योरिटी की चुनौतियां सिर्फ टेक्नोलॉजी से नहीं, बल्कि लोगों की रोजमर्रा की छोटी गलतियों से भी पैदा होती हैं। CISO और आईटी में बढ़ते साइबर थ्रेट्स और यूजर्स की मिस्टेक्स—दोनों से जूझ रही हैं। कॉम्कास्ट का कहना है कि अब सिक्योरिटी पैरामीटर-बेस्ड मॉडल से आगे बढ़कर पीपल-सेंट्रिक रेज़िलियंस की ओर जा रही है।
