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दिल्ली के चार केंद्रों पर मतदान करेंगे कश्मीरी हिंदू, इन जगहों पर बनाए गए हैं मतदान केंद्र

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पश्चिमी दिल्ली/23 अप्रैल।
वर्षों से मूल निवास स्थान से दूर विस्थापन की जिंदगी जी रहे कश्मीरी हिंदुओं के मतदान के लिए दिल्ली में चार विशेष मतदान केंद्र बनाए गए हैं।इन मतदान केंद्रों पर जाकर लोग अपने मूल निवास के संसदीय क्षेत्र के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं।
चुनाव आयोग ने पिछले महीने इसको लेकर अधिसूचना जारी की थी। दिल्ली में कश्मीरी पंडित विभिन्न जगहों पर रहते हैं। ऐसे में पहली बार मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय की ओर से विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के मतदान कराने के लिए जिला निर्वाचन अधिकारियों को कहा गया है।
कश्मीर के बारामूला, श्रीनगर और अनंतनाग राजौरी संसदीय क्षेत्र की कुपवाड़ा, बारामुल्ला, बांदीपोरा, गंदरबल, श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, कुलगाम और अनंतनाग विधानसभा क्षेत्र के विस्थापित लोग फॉर्म एम/12-सी के माध्यम से मतदान कर सकते हैं।
राजधानी में रहते हैं करीब 60 हजार कश्मीरी हिंदू
ये फॉर्म आॅनलाइन या या सहायक निर्वाचन अधिकारी (एआरओ) से प्राप्त कर सकते हैं और इसे डाक मतपत्र प्रक्रिया के माध्यम से डाल सकते हैं। विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं को उनके मूल निवास का वोटर बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अभियान चलाया था। माना जाता है कि अभी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में करीब 60 हजार कश्मीरी हिंदू रह रहे हैं।
कहां कितने बनाए गए हैं मतदान केंद्र
जम्मू- 21
उधमपुर- 1
दिल्ली- 4
दिल्ली में यहां बनाए गए हैं मतदान केंद्र
जेएंडके हाउस, पृथ्वीराज रोड, नई दिल्ली
उप निदेशक, बागवानी, योजना और विपणन कार्यालय, शालीमार बाग
सरकारी बालिका सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पपरावट
अर्वाचिन इंटरनेशनल स्कूल, एफ-ब्लाक दिलशाद गार्डन
विस्थापित मतदाताओं के लिए हेल्पलाइन की सुविधा
विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की मदद के लिए हेल्पलाइन सुविधा भी शुरू की गई है।अगर उन्हें कोई परेशानी आती है तो वह टेलीफोन नंबर-0191-2586218,9622189330 पर संपर्क कर सकते हैं या फिर चुनाव आयोग की टोल फ्री सुविधा(1950) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
घाटी में आए बदलाव से हैं आशावान
राष्ट्रीय राजधानी में 34 वर्षों से रह रहे विस्थापित कश्मीरी हिंदू मतदाता पहली बार घाटी की लोकसभा सीटों पर मतदान करेंगे। अनुच्छेद 370 और 35ए के हटने के बाद घाटी में आए बदलाव से वे भविष्य को लेकर आशावान हैं, हालांकि वहां के हालात अभी लौटने के निर्णय लायक सुरक्षित नहीं मानते हैं, क्योंकि अभी भी हिंदू कामगारों को निशाना बनाया जा रहा है।
दक्षिणी दिल्ली के आइएनए मार्केट के कश्मीरी बाजार के दुकानदार राकेश राजदान कहते हैं कि वे घाटी के किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की वरीयता में नहीं हैं। उनके साथ बैठे संजय लंगर ने कहा कि निश्चित ही कश्मीर में बदलाव आया है, जहां भारत का नाम लेना गुनाह था, वहां तिरंगा फहरा रहा है। यह देखकर अच्छा लग रहा है।
गाजियाबाद के शालीमार गार्डन स्थित कश्मीरी हिंदुओं की देवी खीर भवानी मंदिर परिसर में जुटे कश्मीरी हिंदू मतदान के लिए एम-फॉर्म भर रहे हैं। मंदिर परिसर में बैठे 80 वर्षीय प्राणनाथ, 89 वर्षीय मोतीलाल कोतुरू और 77 वर्षीय ओमकार रैना भरे गले से कहते हैं कि शरीर भले यहां है, लेकिन दिल अभी भी वहां है।
कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों के लिए मतदान करेंगे
दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में इन विस्थापितों की संख्या करीब एक लाख से अधिक है, जो कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों अनंतनाग-राजौरी, श्रीनगर और बारामुला के लिए मतदान करते रहे हैं, जहां मतदान क्रमश: सात, 13 और 20 मई को है। उनके निवास क्षेत्रों में चुनाव आयोग के कश्मीर से आए अधिकारी फॉर्म भरवा रहे हैं।

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