सरकार इस महीने मार्केट में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। खबर है कि सरकार IDBI Bank में अपनी करीब 60.72% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। मार्केट वैल्यू के हिसाब से यह डील लगभग 7.1 बिलियन डॉलर की मानी जा रही है। लंबे समय से चल रही प्राइवेटाइजेशन प्रोसेस अब फाइनल स्टेज में पहुँच चुकी है। आसान भाषा में कहें तो आईडीबीआई बैंक को नया मालिक मिलने वाला है।
आम लोगों के लिए क्या मतलब?
जो लोग बैंकिंग सेक्टर में इंटरेस्ट रखते हैं, उनके लिए यह बड़ा चेंज है। कभी एनपीए में डूबा आईडीबीआई बैंक अब क्लीन-अप, रिकवरी और कैपिटल सपोर्ट की वजह से काफी मजबूत हो चुका है। आज बैंक मुनाफे में है और बैलेंस शीट भी स्टेबल है, इसलिए सरकार इसे प्राइवेट हाथों में देने को तैयार दिखाई देती है।
निवेशकों की नजर क्यों?
आईडीबीआई बैंक के शेयर इसलिए भी फोकस में हैं क्योंकि प्राइवेटाइजेशन के बाद आमतौर पर बैंक के कामकाज में तेजी और बेहतर ग्रोथ देखने को मिलती है। प्राइवेट मालिक नई टेक्नोलॉजी और प्रोडक्ट्स पर ज्यादा फोकस करते हैं, जिससे बैंक की परफॉर्मेंस में दम आता है।
डील कब फाइनल होगी?
सरकार का कहना है कि यह प्रोसेस मार्च 2026 तक पूरा करने का प्लान है। अभी इच्छुक कंपनियां बैंक की गहराई से जांच यानी देय डिलिजेंस कर रही हैं। असली मूवमेंट तभी दिखेगा जब पता चलेगा कि बोली कौन लगाता है और डील की शर्तें क्या हैं।
आम निवेशक क्या करें?
अगर आपके पास पहले से IDBI के शेयर हैं तो यह न्यूज आपके लिए पॉजिटिव है। लेकिन जिसे खरीदना है, उसे जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। प्राइवेटाइजेशन एक लंबी प्रक्रिया है, इसमें धैर्य रखना जरूरी है।
