अपनी ही कार्रवाई का वीडियो बना मुसीबत, एनफोर्समेंट विंग पर धक्केशाही के आरोप तेज
दबंगई का प्रचार पड़ा महंगा, एनफोर्समेंट टीम अपनी ही पोस्ट में फंस गई
नगर परिषद की एनफोर्समेंट विंग की दबंगई! गाड़ी से जबरन चाबी निकालने पर हंगामा, लोगों में बढ़ा गुस्सा
जीरकपुर 06 दिसंबर ।
नगर परिषद की एनफोर्समेंट विंग पर धक्केशाही और मनमानी के आरोप लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ताज़ा मामला शुक्रवार दोपहर उस समय चर्चाओं में आ गया जब कार्रवाई के दौरान टीम के एक सदस्य ने एक वाहन चालक की गाड़ी से जबरन चाबी निकाल ली। इस हरकत से मौके पर भारी हंगामा खड़ा हो गया। घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे खुद परिषद की टीम ने अपने प्लेटफॉर्म पर कार्रवाई दिखाने के लिए जारी किया था, लेकिन यह उनके लिए उल्टा पड़ गया। कहावत ‘शिकारी खुद जाल में फँस गया’ यहां सच होती दिखाई दी।
जानकारी के अनुसार नगर परिषद की एनफोर्समेंट विंग शहर में अवैध कब्जों और सड़क किनारे फैले अतिक्रमण को हटाने के लिए तैनात रहती है। परंतु स्थानीय व्यापारी और राहगीर आरोप लगा रहे हैं कि कार्रवाई के नाम पर टीम के कुछ सदस्य लोगों से अभद्र व्यवहार कर रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि टीम अक्सर बिना चेतावनी सामान उठाने, तोड़फोड़ करने और विरोध करने वालों को डराने की कोशिश करती है।
घटना के दौरान मौजूद राहगीरों ने सवाल उठाया कि किस अधिकार के तहत नगर परिषद की टीम किसी निजी वाहन की चाबी जबरन निकाल सकती है? लोगों का कहना है कि अगर वाहन गलत तरीके से खड़ा है या नियम तोड़ रहा है, तो चालान काटा जा सकता है, नोटिस दिया जा सकता है, लेकिन किसी नागरिक के वाहन में हाथ डालकर चाबी निकालना न केवल गलत है बल्कि गैर-कानूनी भी है। यह अधिकार पुलिस का है, न कि नगर परिषद की एनफोर्समेंट विंग का।
व्यापारियों ने आरोप लगाया कि टीम अक्सर खुद को कानून से ऊपर समझकर मनमानी करती है। कई लोगों ने कहा कि यह कार्रवाई अतिक्रमण हटाने से ज्यादा ‘दादागिरी’ जैसी लग रही थी। वहीं कुछ लोगों का आरोप है कि टीम अपने प्रभाव का उपयोग कर जनता को धमकाती है और विरोध करने पर जबरन सामान कब्जे में ले लेती है।
घटना के बाद लोगों में रोष बढ़ गया और मौके पर जमकर नारेबाजी भी हुई। शहरवासियों ने मांग की है कि नगर परिषद प्रशासन इस मामले की जांच कर दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
फिलहाल नगर परिषद की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं कि क्या शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली यह टीम वास्तव में सुधार लाने के लिए तैनात है या फिर जनता को परेशान करने के लिए?
