लुधियाना के डाबा इलाके के अर्शदीप सिंह और उनकी मां सुखबीर कौर ने रानी झांसी रोड वाले कल्याण ज्वेलर्स से ज्वेलरी खरीदी थी। शोरूम में उन्हें बताया गया कि ज्वेलरी 22 कैरेट गोल्ड की है। इसी भरोसे पर अर्शदीप ने 42,719 रुपए का पेंडेंट और उनकी मां ने 47,000 रुपए के स्टड्स खरीद लिए। लेकिन गहनों पर कोई हॉलमार्क स्टैंप नहीं था, जिससे उन्हें शक हुआ।
बाहरी लैब टेस्ट में खुली सच्चाई
शक की पुष्टि करने के लिए अर्शदीप ने 27 अगस्त 2021 को एलडी गोल्ड लैब से टेस्ट कराया। रिपोर्ट में ज्वेलरी की शुद्धता सिर्फ 75.21% निकली, जो 18 कैरेट के बराबर होती है। जबकि बिल में साफ लिखा था कि गहने 22 कैरेट के हैं। उन्होंने यह बात शोरूम को बताई और ईमेल भी की, पर किसी ने सुनवाई नहीं की। बाद में लीगल नोटिस भेजा, जिसका भी जवाब नहीं मिला। मजबूर होकर अर्शदीप ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई।
कंपनी का तर्क– ये पोल्की ज्वेलरी है
कल्याण ज्वेलर्स ने फोरम में कहा कि खरीदी गई ज्वेलरी पोल्की कैटेगरी में आती है और हॉलमार्क इस पर जरूरी नहीं होता। उन्होंने दावा किया कि कस्टमर को खरीदते वक्त सब जानकारी दे दी गई थी, इसलिए शिकायत मान्य नहीं है।
फोरम के अध्यक्ष संजीव बत्रा और मेंबर मोनिका भगत ने पाया कि ज्वेलरी के टैग में सिर्फ MRP और आइटम कोड था, क्वालिटी या प्योरिटी का जिक्र नहीं था। यह सीधे तौर पर कंज्यूमर के ‘राइट टू बी इन्फॉर्म्ड’ का उल्लंघन है।
साथ ही बिल में 22 कैरेट लिखा था, इसलिए कंपनी बाद में अपना बयान नहीं बदल सकती। इसे अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना गया।
एक महीने में हर्जाना नहीं दिया तो लगेगा ब्याज
फोरम ने कल्याण ज्वेलर्स पर 1 लाख रुपए का हर्जाना लगाया और कहा कि एक महीने में रकम नहीं दी गई तो 8% ब्याज भी चुकाना होगा।
