लोकसभा चुनाव के काउंट-डाउन के बीच पंजाब में अभी तक सारी प्रमुख पार्टियां एक-दूसरे के कैंप में सेंधमारी में जुटी हैं। ऐसे इन पार्टियों के वर्कर माथापच्ची में लगे हैं कि आखिर उनकी सीट से उनकी पार्टी का उम्मीदवार आखिर कौन होगा ? दूसरी तरफ अपनी-अपनी पार्टी से टिकट के दावेदार भी वेट-एंड-वॉच की स्थिति में हैं। कुछ टिकट पक्का होने की उम्मीद के बावजूद दूसरी पार्टी वाली ‘थाली में ज्यादा घी’ के मुगालते में उधर भी लार टपका रहे हैं। कुल मिलाकर, बहुत कंफ्यूजन वाली सिच्युएशन बनी है। ऐसे हालात में खबरची बड़ी चटखारेदार खबर उड़ाकर लाया। बकौल उसके, वह अपने एक दोस्त के यहां बैठा था। जो चुनावी झंडे, बैनर, पोस्टर, पंफलेट वगैराह ठेके पर तैयार कराकर उम्मीदवारों को सप्लाई करता है। खबरची के बैठे उसके दोस्त को एक फोन कॉल आई। दूसरी तरफ नेताजी यानि एक बड़ी पार्टी से टिकट के दावेदार थे। नेताजी ने समझाया कि जैसे आप बता रहे हो कि ऐन मौके पर प्रचार सामग्री छापने-तैयार करने में परेशानी होगी। चुनाव में तो बेशक टाइम थोड़ा है, मगर हमारी भी मजबूरी है। वैसे तो मेरा टिकट पक्का है, मगर जैसे हालात अपनी स्टेट में बने है, कभी भी, कहीं से भी कोई पैराशूट उम्मीदवार बीच में कूद सकता है।
खबरची का दोस्त बोला-फिर नेताजी आप ही बताएं कि क्या करें ? सियासत के मंझे खिलाड़ी होने के नाते नेताजी ने फट से आइडिया बताया कि ठेकेदार साब, आप बैनर, पोस्टर, झंडे, पंफलेट वगैराह के डिजाइन तैयार करके रखो, बस उनमें पार्टी और सीट का नाम खाली छोड़ दो। टिकट हाथ में आते ही सबसे पहले आपको ही बताउंगा, कौन सी सीट से और किस पार्टी ने टिकट दिया है। बाकी डिजाइन झटपट फाइनल करके आप खटाखट मैटेरियल छाप देना, ओके।