राम नाम केवल दुखों को काटता नहीं है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, संतोष और आनंद से भरता है – संत अश्वनी बेदी

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71 वाँ राम नाम अखंड जप महायज्ञ हर्षोल्लास से आरम्भ ।

लुधियाना 7 दिसंबर :
श्री राम शरणम् , श्री राम पार्क में 71 वाँ राम नाम अखंड जप महा यज्ञ श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज की कृपा से संत अश्वनी बेदी जी महाराज की अध्यक्षता में राम नाम की ध्वनि के साथ आरंभ हुआ । संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने उपस्थित भारी जन समूह को संबोधन करते हुए कहा कि राम नाम का निरंतर स्मरण और उच्चारण, एक ऐसी आध्यात्मिक साधना है जिसे शास्त्रों में कलि-काल में मोक्ष का सबसे सुगम मार्ग बताया गया है। यह मानना कि राम जाप दुखों को दूर कर हर सुख देने वाला है, केवल एक धार्मिक विश्वास नहीं, बल्कि एक गहरा मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक सत्य है जो मनुष्य के चित्त को रूपांतरित करने की शक्ति रखता है।

ईश्वर के नाम का जप और हृदय से की गई भक्ति है । भक्ति का उद्देश्य केवल सांसारिक सुख पाना नहीं है, बल्कि आत्म-ज्ञान प्राप्त करना है।
यह भक्ति ही आत्म-ज्ञान का द्वार खोलती है, सभी पापों को हरती है, और अंततः व्यक्ति को दैवी कृपा का पात्र बनाकर परम शांति और मोक्ष की ओर ले जाती है।

 

श्री राम पार्क में 71 वाँ राम नाम अखंड जप महा यज्ञ श्री राम पार्क में 71 वाँ राम नाम अखंड जप महा यज्ञ

संत बेदी जी ने कहा जब मन राम के नाम में लीन होता है, तो वह संसार के क्षणभंगुर विचारों और द्वेषों से मुक्त हो जाता है। “राम” शब्द का उच्चारण मन को एक बिंदु पर केंद्रित करता है, जिससे तनाव और चिंता स्वतः ही कम हो जाती है। यह मानसिक स्थिरता ही दुखों के निवारण की पहली सीढ़ी है।

राम नाम का जाप करने वाला साधक अनजाने में ही राम के गुणों को अपने अंदर समाहित करने लगता है। इससे उसके कर्म शुद्ध होते हैं और वह ऐसे कार्यों से बचता है जो भविष्य में दुःख का कारण बन सकते हैं।
राम नाम में अटूट शक्ति है। तुलसीदास जी ने ‘हनुमान चालीसा’ में कहा है: “राम नाम मनि दीप धरू, जीह देहरी द्वार।” अर्थात राम नाम रूपी मणि का दीपक हृदय के द्वार पर रखने से अज्ञान का अंधकार और भय दूर हो जाता है। यह नाम व्यक्ति को मृत्यु के भय से भी मुक्त करता है।
संत बेदी जी ने कहा कि
राम नाम केवल दुखों को काटता नहीं है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता, संतोष और आनंद जैसे वास्तविक सुखों का सर्जन भी करता है:
राम जाप व्यक्ति को यह बोध कराता है कि संसार में सब कुछ ईश्वर की इच्छा से हो रहा है। यह भाव मन में संतोष पैदा करता है। संतोष सबसे बड़ा धन है, जो व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं की अंतहीन दौड़ से मुक्त करके वास्तविक सुख देता है।

संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने पारिवारिक और सामाजिक सद्भाव: का वर्णन करते हुए कहा – राम का जीवन परिवार के प्रति कर्तव्य, मित्रता और सार्वभौमिक प्रेम का संदेश देता है। राम नाम के जाप से व्यक्ति के अंदर विनम्रता, क्षमा और परोपकार की भावना विकसित होती है, जिससे उसके संबंध मधुर बनते हैं और उसे सामाजिक व पारिवारिक सुख प्राप्त होता है।
यज्ञ के आरम्भ में श्रीमती सुदर्शन जैन, मुकेश जयरथ मन्नू, पार्षद नंदिनी जयरथ, टीटू पायलट, अल्प संख्यक प्रतिनिधि राजेश जैन बॉबी , सुमन जैन, राज गुप्ता, मधु बजाज, शशि भल्ला, पलवी धवन, वीरेंद्र जैन, शशि गुप्ता, मंजू गुप्ता, अनेक युवा नजर आये ।

अमृतसर से ब्रजेश बेदी, प्रिया बेदी ,समर बेदी ,मनमीत बेदी और 25 साधक साथ सम्मिलित हुए,
यमुनानगर से रमणीक कुमार, संजय गर्ग, परवेश सहगल और 20 साधक साथ सम्मिलित हुए
यू.एस.ए से श्री अनिरुद्ध गुप्ता, मीरा गुप्ता
शिमला से श्रीमती स्नेह सूद, ट्विंकल सेठी, प्रताप ग्रोवर व 30 साधक सम्मिलित हुए
पटियाला से श्री अजय बंसल, संजीव कुमार जैन , आदर्श बंसल, रुचि बंसल, मनु मल्होत्रा व अन्य 20 साधक सम्मिलित हुए,
पंचकूला से आदित्य थापर, श्रुति थापर ,सोनिया कालिया, पूर्व भल्ला, राहुल भल्ला
मुही से अशोक शर्मा, कमलेश शर्मा
फरीदाबाद से बिन्नी वर्मा
व अन्य बड़ी भारी संख्या में इस यज्ञ के शुभारंभ में सम्मिलित हुए ।

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