हरियाणा और पंजाब की राजधानी में जब हरिणाणा की निधि देशवाल ने ठेठ हरियाणवी लहजे में लोक गीत पेश किए तो लगा वाकई यह शहर दो संस्कृतियों के अटूट बंधन का साक्षी है।
देश-विदेश में हरियाणवी लोग गायन का परचम फहरा चुकीं निधि ने यहां अपनी पहली ही पेशकश से सामयीन को सुरों की डोर से ऐसा बांधा की वे पूरी ‘हरियाणवी नाइट’ टस से मस नहीं हुए। हर गाने पर वे वाहवाही और तालियों की गड़गड़ाहट से कलाग्राम को गुंजाते रहे।
निधि ने जहां मैं सासरिये ना जाऊँ मेरी मां… से श्रोताओं, खासकर महिलाओं के दिलों को छू लिया। मेरा मन लग्या फकीरी में… पर उन्हें हर लफ्ज़ पर खूब दाद मिली। इसके साथ ही उन्होंने मन्ने राज भवन मैं जा लेण…, दो बात करुंगा कृष्ण तै…, हे री लुगाइयो चाला होग्या… अौर मेरी जान का गाला होग्या… पेश कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, तेल चमेली चंदन साबुन चाहे लगा लो… और जगत में कोई ना परमानेंट… ने जहां गुदगुदाया वहीं यथार्थ से भी वाकिफ कराया।
हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए: निधि
हरियाणवी लोक गायिका का संस्कृति को लेकर बिल्कुल स्पष्ट सिद्धांत है कि संस्कृति है तो हम हैं। हमें अपनी संस्कृति यानी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका विश्वास साफ सुथरे गानों में ही है, जिनकी उम्र लंबी होती है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने गैंग, गन और ड्रग माफिया के जिक्र वाले गानों को डिलीट करवाया है। जाहिर है, साफ सुथरी संस्कृति से जुड़े गीत-संगीत का सम्मान सदैव रहेगा।
हरियाणवी गीत-संगीत छाने लगा है-
लोक गायिका देशवाल कहती हैं कि तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो अब हरियाणवी गीत-संगीत मौसिकी पसंद लोगों में छाने लगे हैं, खासकर शादी-समारोहों में इनका बजना बढ़ता जा रहा है। हरियाणवी संगीत लगातार ग्रोथ कर रहा है। उन्हें भरोसा है कि अगले दस साल में यह और बुलंदियों पर होगा।
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हरियाणवी रागिनी गायन ने रिझाया-
निधि के गायन से पूर्व हरियाणवी नाइट की शुरुआत राकेश भराणिया के हरियाणवी लोक गायन रागिनी से हुई। हरियाणा ही नहीं, देश-विदेश के कई कार्यक्रमों में रागिनी गाकर हरियाणा की माटी की महक फैला चुके भराणिया ने अपनी रागिनियों से लोक गायन प्रेमियों के हृदय झंकृत कर दिए। रागिनी में भराणिया का अंदाज तो शानदार था ही, लोक वाद्य यंत्रों का संगीत भी सराहनीय रहा।
