डेराबस्सी में धोखाधड़ी का नया संकट: बैंक का 1 करोड़ से अधिक का लोन दुकानदारों पर भारी पड़ा

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इको ग्रींस–2 की 11 दुकानों पर कब्जा वारंट, दुकानदारों को 19 दिसंबर तक दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम

धोखाधड़ी का आरोप: पीड़ित दुकानदारों ने सीएम विंडो पर की शिकायत, बिल्डर और बैंक पर जांच की मांग

डेराबस्सी में जीबीपी के इको ग्रींस–2 प्रोजेक्ट में धोखाधड़ी: 11 दुकानदारों पर बैंक ने लोन रिकवरी का संकट लटका दिया

 

 

डेराबस्सी 02 December : जीबीपी के इको ग्रींस–2 प्रोजेक्ट में 11 दुकानों के मालिकों के लिए संकट गहरा गया है। बिल्डर द्वारा पहले ही बेच दी गई दुकानों पर करीब एक करोड़ रुपये से अधिक का बैंक लोन खड़ा है, जिसकी रिकवरी अब बैंक दुकानदारों से करने जा रहा है। इस कारण दुकानदारों को 19 दिसंबर तक दुकानें खाली करने की डेडलाइन दी गई है। यदि वे यह नहीं करते हैं तो पुलिस प्रशासन के जरिए कठोर कार्रवाई की जाएगी। पीड़ित दुकानदारों ने पंजाब के मुख्यमंत्री को सीएम विंडो पर शिकायत भेज कर आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

 

मामले का विवरण

 

दुकानदारों द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के अनुसार, गौरव पुत्र चमन लाल निवासी मुबारकपुर ने गुलाबगढ़ मौजे में 2295 वर्ग फीट जमीन की रजिस्ट्री जीबीपी के रिश्तेदार अजय गुप्ता पुत्र प्रेमचंद, निवासी यमुनानगर को करवा दी। इसके मात्र दो हफ्ते बाद 6 जनवरी 2017 को रजिस्ट्री हुई और 20 जनवरी को अजय गुप्ता ने अपनी फर्म अजय ट्रेडिंग कंपनी के नाम इंडियन बैंक से लाखों का लोन लिया, जो बाद में बढ़कर 1 करोड़ 15 लाख रुपये तक पहुंच गया।

 

अजय गुप्ता ने गौरव के नाम भी जीपीए (जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी) करवा ली। गौरव ने उसी जमीन पर कुल 11 बिल्टअप दुकानें अलग से भी बेच दीं, लेकिन बैंक ने लोन की अदायगी में डिफॉल्टर हो चुकी इस कंपनी से रिकवरी के लिए दुकानों को ही कुर्क करने का निर्णय लिया। अब कब्जा वारंट जारी होने के कारण दुकानदारों की चिंता और बढ़ गई है, जबकि उनके पास दुकानों की रजिस्ट्री, इंतकाल और भारमुक्त कागजात भी मौजूद हैं।

 

पिछले आदेश और शिकायतें

 

पिछले साल सितंबर में अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ने 21 जून को कुर्की के आदेश जारी किए थे, जिनके तहत इंडियन बैंक ने अजय ट्रेडिंग कंपनी से डेराबस्सी की दुकानों पर कब्जा लेने का आदेश दिया था। उस समय लोन राशि करीब 95 लाख रुपये थी जो अब बढ़कर 1.15 करोड़ हो गई है।

 

इसके विरोध में पीड़ित दुकानदार माल विभाग पहुंचकर फर्जीवाड़े की जांच की मांग कर चुके हैं। कुर्की पर फिलहाल रोक लग गई थी, जबकि विदेश में रहने वाले गौरव ने बैंक से सेटलमेंट कर 11 लाख रुपये जमा करवाए, जिससे लोन की राशि 1.04 करोड़ रह गई। इसके बाद गौरव ने कोई किश्त नहीं दी। परंतु माल विभाग ने अभी तक मामले की जांच पूरी नहीं की है।

 

कानूनी प्रक्रिया और पुलिस की भूमिका

 

फील्ड कानूनगो तेजिंदर सिंह ने दुकान मालिकों को नोटिस चस्पा कर दिया, लेकिन उन्होंने यह कार्रवाई बिना उच्चाधिकारियों से राय लिए की। उनका कहना है कि उन्हें मामले की ताजा जानकारी नहीं मिली थी। दूसरी ओर, थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस को अब तक किसी भी प्रकार की आधिकारिक सूचना या कब्जा कराने के लिए सहायता की मांग नहीं मिली है।

 

दुकान मालिकों ने इस पूरे मामले में दोषी बिल्डर गौरव कुमार और उनके जीजा अजय कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज करने की मांग करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री को शिकायत भेजी है। उनका कहना है कि उन्हें धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया है और वह न्याय के लिए मुख्यमंत्री से मदद चाहते हैं।

 

पीड़ित दुकानदारों की व्यथा

दुकान मालिकों का कहना है कि उनके पास पूरी कानूनी दस्तावेज़ी सबूत मौजूद हैं, बावजूद इसके उन्हें अपना व्यवसाय और आजीविका गंवाने का खतरा मंडरा रहा है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन और सरकार उनकी समस्या को गंभीरता से लें और समय रहते उचित कदम उठाएं ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

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