चंडीगढ़ 7 दिसंबर। जीरकपुर में प्रॉपर्टियों के लेनदेन में बड़े खेल होने की मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अब समाजसेवी द्वारा शहर के रॉयल अपार्टमेंट नामक प्रोजेक्ट में रॉयल खेल होने के बड़े आरोप लगाए हैं। समाजसेवी सुखदेव चौधरी का आरोप है कि रॉयल अपार्टमेंट प्रीमियम प्रोजेक्ट कभी जिंदगी में लीगल नहीं हो सकता। लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के बाद इस प्रोजेक्ट को बेचा भी गया और इसकी आड़ में लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी भी कर ली गई। मामले संबंधी लोकल बॉडी विभाग पंजाब के डायरेक्टर और चीफ विजिलेंस ऑफिसर को भी कई बार शिकायतें की जा चुकी है। लेकिन आपसी मिलीभगत के चलते आज तक एक्शन नहीं हो सका। वहीं सुखदेव चौधरी की और से रॉयल अपार्टमेंट प्रीमियम प्रोजेक्ट के मालिक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कई तरह के खुलासे किए हैं। वहीं उन्होंने नगर कौंसिल जीरकपुर के अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका आरोप है कि कई राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इस प्रोजेक्ट पर एक्शन नहीं लिया जा रहा।
रेत पर बना है रॉयल अपार्टमेंट प्रोजेक्ट
सुखदेव चौधरी का आरोप है कि जीरकपुर के डकोनी एरिया में स्थित रॉयल अपार्टमेंट प्रीमियम प्रोजेक्ट लाया गया। करीब 15 साल पहले इस प्रोजेक्ट को लांच किया गया। जबकि यह प्रोजेक्ट रेत पर बनाया गया है। जिसमें यह अपार्टमेंट किसी भी समय गिर भी सकते है और न इसे कंपलीशन सर्टीफिकेट भी कभी नहीं मिल सकता। लेकिन फिर भी बिल्डर द्वारा नगर कैंसिल व उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट तैयार किया और लोगों को बेच भी डाला।
चक्की चलाता है मालिक
सुखदेव चौधरी का आरोप है कि रॉयल प्रोजेक्ट पहले रॉयल अपार्टमेंट प्रोजेक्ट था। इस प्रोजेक्ट को एक चक्की चलाने वाले व्यक्ति ने लांच किया था। मालिक पहले चक्की चलाता था और फिर छोटा मोटा बिल्डर बना। फिर उसने अफसरों के साथ सेटिंग करके इस प्रोजेक्ट को लांच कर दिया। जिसकी एवज में जमकर लोगों को फ्लैट बेचकर ठगी की और फिर प्रोजेक्ट बीच में ही बंद करके दोबारा चक्की चलानी शुरु कर दी। 2012 में मालिक द्वारा पहले धोखे से 15 फ्लैट बेचे गए। पुलिस को शिकायत होने पर मामला दर्ज हुआ और मालिक गिरफ्तार हो गया। फिर प्रोजेक्ट बीच में रुक गया।
फ्लैट लोगों को बेचे, जमीन दूसरी कंपनी को बेच डाली
चौधरी का आरोप है कि मालिक की गिरफ्तारी के करीब 10 साल बाद उसने एक ग्रिप नामक फर्जी कंपनी के नाम पर बनाए लेटरपैड के जरिए लोगों को फ्लैट अलॉटमेंट दे दी। जबकि कंपनी रजिस्टर्ड होने से पहले ही उसके लेटरपैड पर अलॉटमेंट देकर धोखाधड़ी की गई। लेकिन इस मामले में भी नगर कैंसिल और लोकल बॉडी विभाग ने कोई एक्शन नहीं लिया। अपार्टमेंट मालिक ने इसी तरह 99 फ्लैट बेचे। जिसमें फ्लैट तो लोगों को बेच डाले, लेकिन उसकी जमीन ग्रिप कंपनी को बेच दी।
डायरेक्टर से लेकर ईओ तक सभी की मिलीभगत
आरोप है कि इस मामले में लोकल बॉडी विभाग, डायरेक्टर और ईओ की मिलीभगत है। चौधरी ने आरोप लगाया कि पूर्व ईओ रवनीत सिंह की मिलीभगत से यह प्रोजेक्ट बना। करीब डेढ़ साल पहले ईओ ने मामले की जांच कर एक्शन लेने को कहा, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। फिर मामला चीफ विजिलेंस ऑफिस में पहुंचा। विजिलेंस ने उक्त प्रोजेक्ट खिलाफ अभी तक कार्रवाई न करने की ईओ से तीन दिन में रिपोर्ट मांगी, मगर फिर भी कोई एक्शन नहीं हो सका। मामले में चार सदस्यों की कमेटी बनाई गई, कमेटी ने क्लियर किया की अपार्टमेंट तो इललीगल है ही, इसमें पार्किंग सुविधा भी नहीं है। चौधरी का आरोप है कि ईओ अशोक द्वारा कोई एक्शन नहीं लिया गया। बाद में पता चला कि डायरेक्टर ऑफिस द्वारा एक तरफ पत्र जारी कर कार्रवाई के लिए कहा जाता है, जबकि फिर ईओ को फोन करके कार्रवाई न करने की बात कही जाती है। अगर कोई ईओ न माने तो उसका तबादला कर दिया जाता है।
दुकानें की सील तो ऊपर से आ गया फोन
चौधरी ने आरोप लगाया कि अपार्टमेंट के मालिक द्वारा अपार्टमेंट में मौजूद 4-5 दुकानों को अंदर से बनाकर रास्ता बाहर को निकाल दिया। जिस पर ईओ अशोक ने उसे सील कर दिया तो ऊपर से तुरंत कॉल आ गई कि सील क्यों किया है। चौधरी ने आरोप लगाया कि उनकी लोगों से अपील है कि अधिकारी भ्रष्ट हो चुके हैं, जिसके चलते लोग खुद ही अपना बचाव करें।
ठग बिल्डरों ने बना रखी अपनी एसोसिएशन
आरोप है कि जीरकपुर में कई ठग बिल्डरों द्वारा अपनी अलग से एसोसिएशन बना रखी है। जबकि सही बिल्डरों की भी एसोसिएशन है। लेकिन वह कभी भी ठगों के खिलाफ आवाज नहीं उठाते। चौधरी ने कहा कि जीरकपुर में ठग बिल्डरों के ऐसे हालात है कि एक ही फ्लैट और प्लॉट को कई जगह बेचकर पैसे हड़प किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उन पर झूठे मामले भी दर्ज करवाए और धमकियां भी दी गई। लेकिन वह मामले में नियंत्रण कार्रवाई करवाने में लगे हुए हैं।
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