अजीत झा.
चंडीगढ़ 09 Dec : सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध शहर चंडीगढ़ में सड़क सुरक्षा की स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। 1 जनवरी से 5 दिसंबर 2025 के बीच शहर में हुए सड़क हादसों में 82 लोगों की मौत दर्ज की गई है, जो पिछले साल की तुलना में अधिक है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के अनुसार मृतकों में सबसे अधिक संख्या दोपहिया वाहन चालकों (40) और पैदल यात्रियों (31) की रही।
हादसों के मुख्य कारणों में तेज रफ्तार, नशे में वाहन चलाना, हेलमेट की अनदेखी और यातायात अनुशासन की कमी शामिल हैं। ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि ओवरस्पीडिंग, स्टंटिंग और खराब गुणवत्ता वाले हेलमेट दोपहिया चालकों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। कई मामलों में हेलमेट के स्ट्रैप खुले पाए गए। पैदल यात्रियों में से कई ज़ेब्रा क्रॉसिंग का इस्तेमाल नहीं करते और शॉर्टकट लेने की कोशिश में एक्सीडेंट का शिकार हो जाते हैं।
साल का सबसे दर्दनाक हादसा होली के दिन हुआ, जब नशे में धुत युवक ने 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से कार चलाते हुए पुलिस नाका तोड़ा, जिसमें दो पुलिसकर्मी और एक अन्य व्यक्ति की जान चली गई। ज्यादातर हादसे रात 11 बजे के बाद और सुबह 4 से 6 बजे के बीच हुए।
सड़क सुरक्षा के लिए ट्रैफिक पुलिस ने रोड सेफ्टी एजुकेशन सेल की स्थापना की, स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए और सेक्टर 23 के चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क में ट्रेनिंग दी। इस साल अब तक 7 लाख से अधिक चालान काटे गए और 16.77 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया, लेकिन इसके बावजूद हादसों में कमी नहीं आई।
विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ चालान या जुर्माना पर्याप्त नहीं, सड़क सुरक्षा शिक्षा और सख्त प्रवर्तन जरूरी है, नहीं तो भविष्य में सड़कें और अधिक खतरनाक हो सकती हैं।
