चंडीगढ़ में अब लीवर की दवाएं बिना जानवरों पर परीक्षण, LASiCAN 2025 में ऐतिहासिक बदलाव

Rivanshi
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लीवर रोगों के शोध में एक ऐतिहासिक सफलता LASiCAN 2025 सम्मेलन में सामने आई। यह तीन दिवसीय कार्यक्रम इंस्टीट्यूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी सेक्टर-39 चंडीगढ़ में आयोजित हुआ। सम्मेलन में दुनियाभर के विशेषज्ञ शामिल हुए और लीवर रोगों के इलाज में नई तकनीकों और जानवरों पर परीक्षण के विकल्प पर चर्चा की।
लीवर रोगों का वैश्विक खतरा
सम्मेलन में बताया गया कि लीवर से जुड़ी बीमारियां विश्वभर में मौतों का लगभग 4 प्रतिशत कारण बन रही हैं। फैटी लीवर रोग सबसे बड़ा खतरा है, जो वायरल संक्रमण, शराब सेवन और जीवनशैली में बदलाव से तेजी से बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों ने यह भी चेताया कि भारत में मोटापे और मेटाबोलिक विकारों के बढ़ते मामलों के कारण स्थिति और गंभीर है।
प्राकृतिक उत्पाद और वैज्ञानिक प्रमाण
परंपरागत चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाले प्राकृतिक उत्पाद जैसे पिक्रोराइज़ा कुर्रोआ, स्वेरिटिया और जेंटियाना प्रजातियां लीवर सुरक्षा और उपचार में सहायक हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि केवल पारंपरिक ज्ञान के आधार पर इन्हें सुरक्षित दवा मानना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए कठोर प्रीक्लिनिकल परीक्षण और वैज्ञानिक सत्यापन जरूरी है।
उन्नत तकनीकें और जानवरों की सुरक्षा
सम्मेलन में नई तकनीकों को भी प्रदर्शित किया गया, जो लीवर दवाओं के शोध में क्रांति ला सकती हैं:
•इन-सिलिको (कंप्यूटर आधारित) तकनीक संभावित दवा टारगेट की भविष्यवाणी करती है।
•इन-विट्रो सेल कल्चर और ऑर्गनॉइड मॉडल मानव लीवर कोशिकाओं पर दवा का वास्तविक प्रभाव समझने में मदद करते हैं।
•ज़ेब्राफिश मॉडल दवा की विषाक्तता और प्रभावशीलता की शुरुआती जांच के लिए उपयोगी हैं।
सबसे बड़ा बदलाव यह है कि नॉन-इनवेसिव इमेजिंग तकनीक से अब चूहों और गिलहरियों जैसे छोटे जानवरों को बिना नुकसान पहुँचाए सेकंडों में स्कैन किया जा सकता है।
शुरुआती पहचान और जीवनशैली सुधार जरूरी
विशेषज्ञों ने कहा कि लीवर रोग अक्सर शुरुआती चरण में लक्षण नहीं दिखाते, इसलिए लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं। अनियमित खानपान, शराब, मोटापा और तनाव इसके मुख्य कारण हैं। जागरूकता, नियमित जांच और जीवनशैली सुधार से रोग को शुरुआती चरण में रोका जा सकता है।
सुरक्षित और प्रभावी उपचार की दिशा
प्राकृतिक उत्पादों को आधुनिक वैज्ञानिक विधियों के साथ जोड़कर लीवर रोगों का सुरक्षित और प्रभावी उपचार संभव है। हालांकि इसके लिए मानव परीक्षण से पहले प्रीक्लिनिकल मूल्यांकन और सुरक्षा मानकों का पालन अत्यंत आवश्यक है।
LASiCAN 2025 ने यह साफ किया कि अब जानवरों पर परीक्षण के बिना दवाओं के विकास का युग शुरू हो चुका है, जो तेज, सुरक्षित और वैश्विक मानकों के अनुरूप होगा।
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