पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पंजाब सरकार को कड़े शब्दों में घेरा और जिला मालेरकोटला में न्यायिक अधिकारियों के लिए स्थायी आवास व कोर्ट भवन उपलब्ध न कराने पर तीखी नाराज़गी जताई। सरकार ने अदालत को बताया कि जजों के लिए फिलहाल किराये के मकानों की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन इस जवाब पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए पूछा—“जज किराये पर रह सकते हैं तो आपके अफसर क्यों नहीं?”
मालेरकोटला में व्यवस्था अधूरी, कोर्ट भड़का
सुनवाई के दौरान सरकार ने बताया कि जिले में दो नए कोर्ट रूम बन चुके हैं और फैमिली कोर्ट शुरू हो चुका है। साथ ही न्यायिक आवास के नए नक्शे बिल्डिंग कमेटी को भेजे जा चुके हैं, जिनकी मंज़ूरी का इंतज़ार है। पर हाईकोर्ट ने इसे अपर्याप्त बताते हुए कहा कि जिला बनाने से पहले अदालतों और आवासों की पूरी योजना तैयार होनी चाहिए थी, न कि बाद में जुगाड़ ढूंढा जाए।
‘डीसी-एसएसपी आवास खाली कराने में दिक्कत’—सरकार का तर्क
पंजाब सरकार ने दलील दी कि डीसी और एसएसपी आवास इसलिए खाली नहीं कराए जा सकते क्योंकि वहां पुलिस कंट्रोल रूम और महत्वपूर्ण कार्यालय चल रहे हैं, जिन्हें शिफ्ट करना आसान नहीं है। इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी की तकनीकी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि इन भवनों को अदालत कक्षों में बदलना सुरक्षित नहीं होगा।
हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज की, कहा—‘अफसरों को किराये पर भेज दें’
लेकिन अदालत ने यह तर्क मानने से इनकार करते हुए पंजाब सरकार की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें डीसी व एसएसपी आवास खाली कराने के आदेश में बदलाव की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने साफ कहा—
“अगर जज किराये पर रह सकते हैं, तो आपके अफसर भी रह सकते हैं। पहले जजों के लिए आवास सुनिश्चित करें।”
इंटरेस्टिंग फैक्ट: पंजाब का इकलौता जिला जहाँ कोर्ट बिल्डिंग अधूरी
मालेरकोटला प्रदेश का वह दुर्लभ जिला है, जहां जिला बनने के तीन साल बाद भी स्थायी कोर्ट परिसर और न्यायिक आवास पूर्ण नहीं हो सके। इस स्थिति को अदालत ने ‘प्रशासनिक लापरवाही’ करार देते हुए तुरंत समाधान निकालने को कहा।
