सीएम योगी की अगुवाई में खेतीबाड़ी में यूपी के बड़ते कदम

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जनहितैषी, 7 अप्रैल, लखनउ। मार्च 2017 में यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक योगी आदित्यनाथ ने खेतीबाड़ी की बुनियादी सुविधा पर खासा ध्यान दिया। इसके नाते उत्तर प्रदेश में सिंचाई क्षमता का रिकॉर्ड विस्तार हुआ। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत तीन बड़े और अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट सरयू नहर परियोजना, अर्जुन सहायक परियोजना तथा बाण सागर परियोजना को जनता को समर्पित कर प्रदेश के सिंचाई क्षेत्र में मील का पत्थर स्थापित किया।

976 परियोजनाएं पूरी

सीएम योगी के कार्यकाल में अब तक छोटी-बड़ी कुल 976 परियोजनाएं पूरी हुईं या प्रस्थापित की गई हैं। इन सबका नतीजा यह रहा कि प्रदेश में करीब 48.32 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई। इससे लगभग 185.33 लाख किसान लाभान्वित हुए। 2017 में प्रदेश में कुल सिंचित क्षेत्र का रकबा 82.58 लाख हेक्टेयर था। आठ वर्षों में यह बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर हो गया। किसानों के व्यापक हित, फसल आच्छादन का रकबा और उपज बढ़ाने के लिए किए गए इस प्रयास का ही नतीजा है कि आज यूपी देश का इकलौता राज्य है जहां उपलब्ध भूमि के 76 प्रतिशत हिस्से पर खेती हो रही है और कुल भूमि का करीब 86 प्रतिशत हिस्सा सिंचित है।
सिंचन क्षमता बढ़ाने का यह सिलसिला अभी जारी है।

मध्य गंगा नगर परियोजना फेज दो, कनहर सिंचाई परियोजना और रोहिन नदी पर महराजगंज में बैराज बनाने का काम जारी है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से करीब 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित होगी। साथ ही इससे 7 लाख किसानों को भी लाभ होगा। इसी तरह नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन बेतवा लिंक के पूरा होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों की प्यास बुझेगी। साथ ही 21 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि बाढ़ और सूखे के स्थाई समाधान के लिए नदी जोड़ो परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था। उनके जन्मदिन पर पिछले साल 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। केंद्र और प्रदेश के क्रमशः 90 और 10 प्रतिशत अंशदान वाली इस परियोजना पर योगी सरकार तेजी से काम भी कर रही है।

सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना- यह परियोजना 1971-72 में परिकल्पित की गई। 1978 में इस पर कार्य प्रारंभ हुआ। पहले यह दो जिलों की परियोजना थी, 1982 में इसे 9 जिलों तक बढ़ाया गया। इससे 14.5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन सिंचित होने से पूर्वांचल के नौ जिलों के तकरीबन 30 लाख किसानों को सीधा लाभ पहुंचा। इस परियोजना से बढ़ी सिंचाई क्षमता से पूर्वी उत्तर प्रदेश देश के खाद्यान्न उत्पादन में 24 लाख टन का अतिरिक्त योगदान होने का अनुमान है।

परियोजना में शामिल बड़ी-छोटी 992 नहरों की कुल लंबाई 6,623 किलोमीटर है। इसमें से 1978-2017 तक 2000 किमी की लंबाई में 290 नहरों पर ही काम पूरा हुआ था, जबकि 2017-2021 तक 702 नहरों का कार्य पूर्ण किया गया, जिनकी कुल लंबाई 4,623 किमी है। चार दशक में कितना काम हुआ और पांच साल में इस परियोजना पर कितना काम हुआ, फर्क आंकड़ों से साफ हो जाता है।

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