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रिश्वत मामले में सीबीआई द्वारा नामजद इंसपैक्टर दंपति की रिर्पोट एसएसपी के पास पहुंची

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(चंडीगढ/यूटर्न 12 अप्रैल): 7 लाख की रिश्वत व आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई द्वारा नामजद इंसपैक्टर दंपति की रिर्पोट चंडीगढ एसएसपी के पास पहुंच गई है। इसी मामले में हैड कांसटेबल पवन कुमार की विभागीय जांच चंडीगढ़ पुलिस विभाग द्वारा खोली गई थी। सूत्रों से पता चला है कि रिपोर्ट में पवन दोषी पाया गया है। मामले की रिपोर्ट एसएसपी के पास पहुंच गई है। एसएसपी कंवरदीप कौर जल्द मामले में हैड कांस्टेबल पवन पर सखत कार्रवाई करने जा रही है। वहीं, इंस्पेक्टर हरिदंर सिंह सेखों और उसकी पत्नी इंस्पेक्टर परमजीत कौर सेखों के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति मामले केस दर्ज किया है और चंडीगढ़ पुलिस द्वारा भी विभागीय जांच शुरू की जा चुकी है। इस मामले में संबंधित अधिकारी द्वारा जांच जल्द पूरी कर सीनियर अधिकारियों को सौंप दी जाएगी। सीबीआई द्वारा 7 लाख की रिश्वत मामले में केस दर्ज करने के बाद चंडीगढ़ पुलिस विभाग ने भी हैड़ कांस्टेबल को निलंबित कर दिया था। निलंबन के बाद हैड कांस्टेबल पवन कुमार ने पुलिस लाइन में रिपोर्ट नहीं किया था। वह कई महीने तक गैरहाजिर रहा था। एसएसपी ने भ्रष्टाचार मामले की विभागीय जांच इंस्पेक्टर दविंदर सिंह और गैरहाजिर रहने की जांच इंस्पेक्टर शेर सिंह को सौंपी थी। निलंबित होने के बाद पुलिस लाइन में गैरहाजिर रहने की जांच इंस्पेक्टर ने पूरी कर ली है।
फरारी के बाद किया था सरेंडर
सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज करने के बाद से ही हैड़ कांस्टेबल पवन फरार चल रहा था। उसने अदालत में अग्रिम जमानत के लिए याचिका भी दायर की थी। जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था, इसके बाद पवन ने खुद पुलिस मुखयालय में जाकर सरेंडर कर दिया था, जिसे वहां से सीबीआई ने गिरफतार कर लिया। चंडीगढ़ पुलिस के कांस्टेबल पवन कुमार के खिलाफ पहले भी एक शराब कारोबारी से रिश्वत लेने का मामला दर्ज हुआ था। यह केस चंडीगढ़ साउथ डिविजन के थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें एक और कांस्टेबल भी था। सेक्टर-43 कोर्ट के बाहर से सेक्टर-21 के डॉक्टर मोहित धवन को किडनैप कर सबूत नष्ट करने का आरोप भी कांस्टेबल पवन व उसके साथियों पर लगा था। उस समय सेखों का नाम भी आया था। यह मामला काफी हाई प्रोफाइल हो गया था जब कोर्ट में खुद डॉक्टर ने यह सारी बात बताई थी। डॉक्टर ने शिकायत दी थी और मामला गिरफतारी तक पहुंच गया था, लेकिन पुलिसकर्मी सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए थे और मामले की जांच कोर्ट ने पंजाब पुलिस डिपार्टमेंट को दी थी।

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