लुधियाना/यूटर्न/4 सितंबर: अकसर लोगों के आरोप रहते है कि पुलिस की कार्रवाई व्यकित विशेश के लिये ढीली हो जाती है और पुलिस आरोपी पक्ष पर पहले मामला ही दर्ज नही करती,अगर मामला दर्ज हो जाये तो आरोपी पक्ष को पूरा मौका अपने बचाव का देती है,लेकिन यही कार्रवाई अगर आम आदमी के खिलाफ हो तो पुलिस डंडा लेकर घर तक पहुंच जाती है,जबकि पीडित को पता भी नही होता कि उसके खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ है कि नही बा पुलिस उसे गिरफतार कर थाने की हवालात में बंद कर देती है। उसको अपनी बात भी रखने का समय नही दिया जाता,यह र्काप्रणाली पुलिस की अकेले लुधियाना में ही नही पूरे राज्य व अन्य राज्यों में भी एक समान है। सरकारें चाह कर भी इसका कोई हल नही निकाल पाती। ऐसा ही एक मामला लुधियाना के माडल टाउन पुलिस ने जाली कागजातों के आधार पर धोखाधडी करने के आरोप में तिथि 8 अगस्त को दर्ज किया था,जबकि पुलिस को शिकायत 26 जुलाई को दी गई थी। यह मामला गुरदेव नगर की रहने वाली अनुप्रीत कौर की शिकायत पर सराभा नगर के रहने वाली राखी कवातरा,उसके पति ऋषि कवातरा व कविता ठाकुर के खिलाफ दर्ज हुआ था। इस मामले में पुलिस ने अभी तक किसी को गिरफतार नही किया,जबकि अनुप्रीत का कहना था कि इन्ही लोगों ने उसके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज करवाया था,उसे एफआईआर होने का पता भी नही था कि उसे पुलिस ने गिरफतार कर लिया। वह करीबएक माह से अधिक समय तक जेल में रही थी।
क्या थे अनुप्रीत के शिकायत में आरोप
अनुप्रीत ने बताया कि उसके पिता एक बिजनेसमैन थे व माडल टाउन में उनकी कोठी थी। उसके पिता ने 1999 में एक इकरारनामा अपनी पत्नी हरदर्शन कौर के नाम पर किया था। हरदर्शन कौर की 2016 में मौत हो गई,जबकि उसके पिता की भी 2020 में मृत्यू हो गई थी। पिता की मौत के बाद ऋषि कवातरा,राखी कवातरा व कविता ठाकुर के साथ मिलीभुगत कर कार्पोशन में एक एक आवेदन पेश किया कि अनुदीप कौर जो कि वारिस थी,उस कोठी को हडपने के लिये जाली हसताक्षर इनडैमिनिटी बांड,उसकी फोटो लगाकर स्वंय घोषण पत्र तैयार कर वहां से रिर्काड लेकर अपने नाम पर करवाने का प्रयास किया।इस सबंधी जब हसताक्षर चैक करवाये गये तो वह जाली निकले।
क्या कहती है जांच रिर्पोट
पुलिस के मुताबिक सभी कागजातों पर हसताक्षर की फिंगर प्रिट माहिरों से जांच करवाने के बाद पता चला कि यह जाली हसताक्षर थे,इसके अलावा जो दसतावेजों पर नोटरी वाले द्वारा तसदीक करवाये गये बताया गया तो उसके बारे नोटरी पब्लिक वाले को बुलाकर पूछताछ की तो पता चला कि उन दसतावेजों पर उनकी मोहर नही है और जिस वकील के हसताक्षर थे वह भी जाली किये गये थे। यह भी पता चना कि विता जो रजिंजंदर सिंह के पास काम करती थी,उसने खुद को रजिदंर की पत्नी बनाते हुए गलत तरीके से जायदाद तबदील करवाई। इसके अलावा आरोपियों से पूछताछ व नगर निगम जोन डी के के मुलाजिमों से भी पूछताछ की जानी बनता है।
अनुप्रीत के आरोप
अनुप्रीत का आरोप था कि उसका एक रिशतेदार ही उक्त आरोपियों स मिलीभुगत कर सारा खेल खेल रहा है,उसे झूठा फंसाने का प्रयास किया गया। उसका दावा था कि जो मामला उस पर दर्ज करवाया गया था अब उसकी दोबारा जांच करवाई गई है,पुलिस को पता भी चल चुका हे कि उसके साथ गलत हुआ था,उसके बावजूद पुलिस आरोपियों को गिरफतार करने में देरी पता नही क्यों लगा रही है। जबकि दूसरी और पुलिस का कहना था कि मामले की जांच की जा रही है,जल्द ही आरोपी भी गिरफतार कर लिये जायेगें।
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आम आदमी के लिये पुलिस तत्पर,व्यकित विशेश के लिये पुलिस को लगता है,डर पीडित का आरोप : झूठा मामला दर्ज कर उसी समय गिरफतार कर लेती पुलिस,लेकिन जांच के बाद मामला दर्ज तो पुलिस नही करती गिरफतार
Kulwant Singh
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