वोटरों ने रखा सत्ता से दूर, अब आप क्या ‘किंग-मेकर’ कांग्रेस को आसानी से मना लेगी ?
लुधियाना 22 दिसंबर। वाकई लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है, एक बार फिर नगर निगम चुनाव के दौरान महानगर लुधियाना में यह साबित हो गया। पहले एक नजर आंकड़ों पर, वोटरों ने 95 सीट वाली इस नगर निगम के 41 वार्ड बेशक सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की झोली में डाल दिए। ऐसे में आप सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरकर सामने आ गई।
‘सियासी-खेला’ हो गया आप के साथ :
हालांकि शहर के वोटरों ने कांग्रेस को भी 30 सीटें थमा दीं। जबकि बीजेपी को 19 सीटें हाथ लग गई। जबकि शिअद-बादल के हाथ महज दो सीटें लगीं और आजाद उम्मीदवार ही उससे ज्यादा तीन सीटें ले उड़े। यहां दिलचस्प पहलू है कि जनता-जनार्दन ने यही सबसे बड़ा सियासी-खेला आप के साथ कर दिया। पार्टी बहुमत हासिल करने के लिए 48 सीटों वाला जरुरी आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई। आप को सात सीटें कम देकर वोटरों ने सियासी-संकट में डाल दिया।
सत्ता जरुरी है तो गठजोड़ मजबूरी है :
ऐसे हालात में किसी भी राजनीतिक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका है। ऐसे में जाहिर तौर पर अब जोड़-तोड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है। लिहाजा इस बात में कतई शक नहीं कि शहर में अबकी बार मेयर गठजोड़ से ही बन सकेगा। सियासी-जानकारों की मानें तो आप अगर अपना मेयर बनाती है तो सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का पद उन्हें गठजोड़ पार्टी को देना पड़ सकता है। हालांकि इसमें सियासी-पेंच यह है कि दोनों पार्टी के हाईकमान आसानी से गठजोड़ नहीं कर पाएंगे। दरअसल अब कांग्रेस किंग-मेकर की भूमिका में है। लिहाजा वह आप को इस मामले में सियासी-तौर पर ब्लैकमेल करेगी।
भाजपा भी करेगी राजनीतिक-प्रयोग !
यहां काबिलेजिक्र है कि जहां कांग्रेस किंग-मेकर की भूमिका में है, वही बीजेपी भी खामोश बैठने वाली नहीं है। सियासी-जानकारों के मुताबिक भाजपा के रणनीतिकार कांग्रेसी कौंसलरों को अपने साथ लाने का प्रयास जरुर करेंगे। कभी लुधियाना नगर निगम की सत्ता में बीजेपी और कांग्रेस साझीदार रह चुके हैं। भले ही आज सियासी-हालात बदल चुके, लेकिन सियासत में सब कुछ मुमकिन है।
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