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गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 12.1.2025   तत्परता की क्या कहें, लो जी कर लो बात। जन-आंदोलन की अभी, करनी है शुरुआत। करनी है शुरुआत, समस्या बहुत पुरानी। हुई पड़ी है ग़र्क, नशे में भरी जवानी। कह साहिल कविराय, काम यह बड़ा अखरता। अब आया है होश, वाह अपनी तत्परता।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 29.12.2024   चक्कर कैसा आपने, चला रखा भगवान। ग़लती करें पहाड़ियां, भुगत रहे मैदान। भुगत रहे मैदान, हुआ हिमपात वहां पर। भैया बिना कसूर, बढ़ गई ठंड यहां पर। कह साहिल कविराय, बना डाले घनचक्कर। चला रखा भगवान, आपने कैसा चक्कर।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 27.8.2024   कहते हैं ट्रैफिक पुलिस, बेहद कम है तात। कैसे संभले शहर का, इनसे यातायात। इनसे यातायात, लोग हैं बड़े अनोखे। हो जाते हैं फुर्र, पुलिस को देकर धोखे। कह साहिल कविराय, डटे तो ये भी रहते। पता नहीं फिर सभी, बुरा क्यों इनको कहते।   प्रस्तुति —- डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 25.8.2024   कहते हैं ट्रैफिक पुलिस, बेहद कम है तात। कैसे संभले शहर का, इनसे यातायात। इनसे यातायात, लोग हैं बड़े अनोखे। हो जाते हैं फुर्र, पुलिस को देकर धोखे। कह साहिल कविराय, डटे तो ये भी रहते। पता नहीं फिर सभी, बुरा क्यों इनको कहते।   प्रस्तुति —- डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 17.8.2024   चाहे कुछ भी कीजिए, बना रहेगा खोट। पतियों के ही हाथ में, होगा सदा रिमोट। होगा सदा रिमोट, भले मुखिया घरवाली। पति असली सरपंच, बजाओ सारे ताली। कह साहिल कविराय, तड़पते इतना काहे। बदलेगा कुछ नहीं, आप कुछ कर लें चाहे।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 16.8.2024   दाग़ी बनता है वही, होता जिसमें ज़ोर। अब तक मिले शरीफ़ जो, सब निकले कमज़ोर। सब निकले कमज़ोर, कहीं तो है कुछ गड़बड़। जितने ज़्यादा केस, बने उतना ही धाकड़। कह साहिल कविराय, लीडरी उसमें जागी। छुपा सके जो दाग़, वही है असली दाग़ी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 10.8.2024   मौसम वालों की अजी, ड्यूटी बड़ी महान। जो मन में आया वही, लगा दिया अनुमान। लगा दिया अनुमान, भले ना लागे सच्चा। कह देंगे फिर यही, खा गये हम तो गच्चा। कह साहिल कविराय, सभी हैं बैठे-ठाले। कुछ भी देते हांक, क्यूट-से मौसम वाले।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 22.7.2024   होकर नाबालिग अगर, स्टंट करेंगे आप। अंदर देंगे भेज झट, पकड़ आपका बाप। पकड़ आपका बाप, थमाया वाहन जिसने। पंगे यूं लो आप, सड़क पर बोला किसने। कह साहिल कविराय, करेंगे वापस धोकर। स्टंट कीजिए आप, ज़रा-सा बालिग होकर।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 13.7.2024   चलो झपटमारी करें, धंधा सदाबहार। होना सिर्फ़ फ़रार है, झपट बालियां-हार। झपट बालियां-हार, पुलिस से मत घबराना। मामूली अपराध, इसे शासन ने माना। कह साहिल कविराय, बनें गुड कारोबारी। ‘झपटमार जी’ कहे, आपको दुनिया सारी।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

गुस्ताख़ी माफ़

गुस्ताख़ी माफ़ 7.7.2024   करता है पंजाब से, सौतेला व्यवहार। कहते हैं हम पर कभी, नहीं लुटाया प्यार। नहीं लुटाया प्यार, केंद्र माने बेग़ाना। हमने भी कब कहें, सगा है उसको माना। कह साहिल कविराय, नहीं बिन इसके सरता। जो-जो करते आप, दूसरा भी वह करता।   प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल