मिलन
लुधियाना 12 अप्रैल। स्मार्ट सिटी योजना में सिलेक्ट हुए लुधियाना महानगर से एक बार फिर बेहद चिंताजनक तस्वीरें सामने आई हैं जो न केवल ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाती हैं, बल्कि बच्चों के मानवाधिकार और बाल अधिकारों का भी खुला उल्लंघन करती हैं। जालंधर बाईपास चौंक जी.टी. रोड जोकि लुधियाना ट्रैफिक पुलिस के ज़ोन-1 के अंतर्गत आता है, वहां स्कूल यूनिफॉर्म में मासूम बच्चियों को खचाखच भरे ऑटो रिक्शा में बेहद खतरनाक ढंग से ले जाते देखा गया। कुछ बच्चियां ऑटो की पिछली तरफ लटकी हुई थीं, जिनके पांव सड़क से कुछ ही इंच ऊपर थे। ये दृश्य किसी भी हादसे की संभावना को बढ़ाते हैं और एक बड़ा सवाल खड़ा करते हैं कि क्या स्मार्ट सिटी में बच्चों की जान इतनी सस्ती है।
ट्रैफिक पुलिस की चुप्पी सवालों के घेरे में…
यह ऑटो द्वारा कई ट्रैफिक चेक पोस्ट पार किए गए, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इसे रोकने की ज़रूरत नहीं समझी, जोकि सीधा प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण है। इतना ही नहीं, यह चर्चा है कि इन ऑटो चालकों और ट्रैफिक पुलिस के बीच सेटिंग है, जिसके चलते यह गैरकानूनी ढंग से बच्चों को ढोने का सिलसिला जारी है।
क्या ज़ोन-1 ट्रैफिक अधिकारियों की ‘सेटिंग’ की अफवाहें सही ?
चर्चा है कि ज़ोन-1 के ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों और कुछ स्कूली वैन चालकों के बीच मिलीभगत है। कई लोगों का कहना है कि यह सेटिंग ही वजह है कि ज्यादातर अवैध स्कूली वाहन खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते घूमते हैं और पुलिस मूक दर्शक बनी रहती है। जबकि आम नागरिकों और छोटे वाहन चालकों पर कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं की जाती। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ट्रैफिक विभाग के कुछ अधिकारी कानून से ऊपर हो गए हैं। यदि ये अफवाहें सच हैं, तो यह न सिर्फ नैतिक पतन का संकेत है बल्कि बच्चों की जान के साथ हो रहा खतरनाक खिलवाड़ भी है।
मानवाधिकार और बाल अधिकारों का उल्लंघन…
यह मामला केवल ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह बच्चों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों का सीधा हनन है। भारत सरकार द्वारा बनाए गए बाल अधिकारों के अनुसार, प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित रहने का हक है। लेकिन इन तस्वीरों में मासूम बच्चियों को जोखिम में डालते हुए देखा जाना एक दुखद और शर्मनाक सच्चाई को उजागर करता है। वहीं स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस ऑटो चालक के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए और साथ ही ट्रैफिक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
स्कूल सेफ वाहन योजना को दिखाया ठेंगा…
राज्य सरकार की स्कूल सेफ वाहन योजना के तहत स्कूलों और परिवहन सेवाओं को कई सख्त निर्देश दिए हैं। जैसे कि फिटनेस प्रमाणपत्र, ड्राइवर का वैध लाइसेंस, सीमित संख्या में बच्चों को बैठाना, प्रत्येक वाहन में फर्स्ट एड किट, फायर एक्सटिंग्विशर, सीसीटीवी, जीपीएस ट्रैकर और सहायक की मौजूदगी अनिवार्य है। जबकि इन ऑटो और टाटा मैजिक जैसे गाड़ियों को स्कूल वैन के तौर पर उपयोग करने पर पाबंदी लगाई है। लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है क्योंकि अधिकतर वैन इन नियमों का न तो पालन करती हैं और न ही प्रशासन इन्हें लागू करवाने में दिलचस्पी दिखाता है।
सोशल मीडिया की वीडियो से चालान, आंखों के सामने अनदेखा
आजकल ट्रैफिक पुलिस सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो और तस्वीरों के आधार पर चालान जारी कर रही है। कई बार तो लोगों को घर बैठे ही नोटिस मिल जाता है, केवल इसलिए कि उनकी गाड़ी किसी वीडियो या फोटो में दिख गई। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब ये स्कूली ऑटो सरेआम नियम तोड़ते हैं तो आंखों देखकर भी एक्शन नहीं होता।