सरकार ने संसद में क्लियर कर दिया है कि अभी पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) के मर्जर या कंसोलिडेशन को लेकर कोई भी प्रोप्रोसेल कंसीडर नहीं किया जा रहा है। सोमवार को लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में बताया कि पिछले कुछ सालों में कई बड़े बैंक मर्जर हुए हैं, लेकिन इस नए फाइनेंसियल ईयर में ऐसी कोई प्लानिंग नहीं है। पंकज चौधरी ने FDI लिमिट को लेकर भी पूरी तस्वीर साफ की।
उन्होंने कहा कि मौजूदा गाइडलाइंस और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट रूल्स 2019 के हिसाब से PSBs में FDI लिमिट 20% है, जबकि प्राइवेट बैंक्स में यह 74% है। उन्होंने यह भी कहा कि FDI देश की इकनोमिक ग्रोथ के लिए एक जरूरी नॉन डेब्ट रिसोर्सेज है, जो टेक , इन्नोवेशंस , जॉब्स और स्ट्रेटेजिक सेक्टर्स के डेवलपमेंट में बड़ा रोल निभाता है।
वित्त राज्य मंत्री ने आईडीबीआई बैंक के डिसइन्वेस्टमेंट पर भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह प्रोसेस CCEA की 2021 की अप्रूवल के मुताबिक आगे बढ़ेगा। CCEA ने मई 2021 में स्ट्रेटेजिक डिसइन्वेस्टमेंट और मैनेजमेंट ट्रांसफर की in-principle मंजूरी दी थी। इसके तहत कुल 60.72% हिस्सेदारी बेची जानी है। सरकार 30.48% सटेक बेचेगी और ऐलआई 30.24%।
बिक्री के बाद सरकार के पास 15% और ऐलआई सी के पास 19% इक्विटी बचेगी। मार्च 2025 तक बैंक के पास करीब 4.11 लाख करोड़ रुपये की आउटस्टैंडिंग लिएबिलिटीज़ थीं, जिन्हें उसके total assets सपोर्ट कर रहे हैं। पंकज चौधरी ने बताया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) की financial स्थिति पिछले सालों में काफी बेहतर हुई है।
RRBs ने फाइनेंसियल ईयर 2024 में 7,571 करोड़ रुपये का record profit कमाया और फाइनेंसियल ईयर 2025 में 6,825 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया। पिछली गिरावट का कारण 1993 से लागू पेंशन प्लान और कंप्यूटर इन्क्रीमेंट लिएबिलिटीज़ का पेमेंट था। सरकार के मुताबिक RRBs ने CRAR, डिपॉजिट्स , लोन डिस्ट्रीब्यूशन , NPA लेवल और CD ratio जैसे कई पैरामीटर्स पर शानदार इम्प्रूवमेंट दिखाया है।
