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गुस्ताख़ी माफ़

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गुस्ताख़ी माफ 2.4.2024

कहां ज़ोर किस जाति का, मुख्य कौन-सा धर्म।
लगे परखने-जांचने, हर हलके का मर्म।
हर हलके का मर्म, उतारें ऐसा बंदा।
वोट बैंक पर डाल, सके जो पूरा फंदा।
कह साहिल कविराय, शर्म को भेजें लानत।
जाति-धर्म की बड़ी, फ़ायदेमंद सियासत।

प्रस्तुति — डॉ. राजेन्द्र साहिल

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