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हर साल 1000 बच्चों की लत छुड़वा रहा है एनटीसीपी, पटेल चेस्ट के विशेषज्ञ करते हैं निगरानी

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नई दिल्ली/ 31 मई।
चाहत से किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है। दिल्ली के अस्पताल में पंजीकृत हो रहे कुछ बच्चे अपनी इसी चाहत की वजह से नशे की लत को छोड़ रहे हैं। यह सब कुछ वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट (वीपीसीआई) के विशेषज्ञों की निगरानी में हो रहा है। डॉक्टर बच्चों को तंबाकू छोड़ने की राह दिखाते हैं। बच्चों को थोड़ी कठिनाई होती है, लेकिन वह तंबाकू से तौबा करने की मंजिल पा ही लेते हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के तहत तंबाकू छोड़ने के लिए हेल्पलाइन चलाई जा रही है। कोई भी टोल फ्री नंबर 1800112356 पर कॉल करके तंबाकू छोड़ने के कार्यक्रम से जुड़ सकता है। इस हेल्पलाइन पर प्रतिदिन पांच से छह हजार लोग कॉल करते हैं। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे होते हैं। नशे की लत से परेशान होकर बच्चे खुद आगे आते हैं और इसे छोड़ने की बात करते हैं।
वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट (वीपीसीआई) के निदेशक डॉ. राज कुमार ने बताया कि साल 2016 से अभी तक आए कॉल में से चार लाख लोगों को तंबाकू छोड़ने के कार्यक्रम में पंजीकृत किया गया। इसमें करीब 8000 बच्चे (18 साल से कम) हैं। बच्चों की संख्या करीब 2% है। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन पर हर दिन 5000 से अधिक कॉल आती हैं। इनमें से जो व्यक्ति तंबाकू छोड़ना चाहते हैं उन्हें कार्यक्रम के तहत पंजीकृत किया जाता है।
तय होती है तंबाकू छोड़ने की तारीख
डॉ. कुमार ने बताया कि मरीज को कार्यक्रम के तहत पंजीकृत करने के दौरान तंबाकू छोड़ने की तारीख तय कर दी जाती है। इलाज शुरू करने से पहले मरीज का पूरा मूल्यांकन किया जाता है। उसके बाद उसकी तंबाकू छुड़वाई जाती है।
एक साल तक मरीज की निगरानी की जाती है। इसमें देखा जाता है कि उक्त फिर से तंबाकू का सेवन तो नहीं कर रहा। इसमें परिवार का सहयोग भी लिया जाता है। मरीज को पूरे समय काउंसलिंग भी दी जाती है।
आसानी से आते हैं चपेट में बच्चे
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे आसानी से तंबाकू सेवन की चपेट में आते हैं। बच्चे प्रभावशाली प्रचार, दूसरों को देखकर, पढ़ाई या दूसरे कारणों के तनाव के कारण तंबाकू का सहारा लेते हैं। इसमें सबसे ज्यादा बच्चे विदेशी धूम्रपान, गुटखा, हुक्का का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
बच्चों पर केंद्रित है इस साल की थीम
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 की थीम बच्चों को तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बचाना है। विशेषज्ञों का कहना है कि देश के युवाओं खासकर बच्चों में तंबाकू सेवन का चलन बढ़ रहा है। इसे रोकने के लिए बड़े स्तर पर अभियान चलाने की जरूरत है।

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