जीते चाहे कोई भी,तीन महानगरों से माल जरूर इक्टठा होगा:चर्चा ए आम
(लुधियाना/यूटर्न 17 मई): जिस प्रकार इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में दलबदली हुए व नेता उमीदवारी के लिये एक से दूसरी पार्टी में भागते देखे गये,उसके तीन कारण सामने आये,जिसे कैटेगिरी वाईज समझाते है,इस बार सबसे अधिक दलबदली कांग्रेस के खेमें में हुई,कांग्रेस के नेता रातों रात भाजपा में जाकर कमल थाम बैठे,अब इसकी भी एक वजह थी कि भाजपा को इलैक्टोरल बांड सबसे अधिक मिला था,दूसरा उनके पास ईडी,सीबीआई व इनकम टैक्स विभाग भी है,अब जिन लोगों ने कोई भी गलत काम किया था उनको डर सता रहा था कि अगली बार भाजपा फिर सत्ता में आ गई तो कहीं उनकी फाईल भी ना खुल जाये। इसके अलावा अगर वह भाजपा में चले जाते है तो उनको कोई डर नही रहेगा,वहीं अगर उनके हाथ टिक्ट लग गई तो उनको माल भी अधिक मिलेगा,ऐसा मैं नही कह रहा बल्कि चर्चा ए आम है कि ना बाप बडा ना भईया,ओल्ड थिंग इज दँट भईया सबसे बडा रूपआ कहावत कुछ नेताओं पर स्टीक बैठ रही है,खासकर लुधियाना,अमृतसर व जालंधर के उमींदवार तो पूरा माल लपेट लेगें। इसका भी कारण साफ है कि जब किसी नेता को उमींदवारी मिलती है तो उनके साथ साथ एक कुबेर धन इक्_ा करवाने वाला नेता भी होता है,जिसका काम ही सभी कारोबारियों व व्यवसाईयों से नेता की मीटिंग करवाना तय होता है। नेता जी वहां आकर बडे बडे ब्यान देते है कि अगर वह जीत गये तो पंजाब में बर्बादी के कगार पर खडे उद्योगों को बचाने की पहल की जायेगी। बस हर बार की तरह इसी झांसे में कारोबारी आ जाते है और अपनी जमा पूंजी नेता जी के आगे कर देते है कि भई दोनों हाथों से ले लो। इतना ही नही अब तो विरोधी नेताओं ने एक दूसरे पर ऐसे आरोप भी लगाने शुरू कर दिये है,जिसमें कांग्रेस के नेता बोलते है कि भाजपा वाले जीतेगें नही बल्कि वह तो पंजाब से माल इक्_ा करने आये है,इसी तरह के आरोप भाजपा वाले भी लगाते है कि दूसरे जिले से आया यह नेता यहां पर माल इक्टठा करने आया है,उसको जीत हार से कोई मतलब ही नही,अब तीसरी पार्टी आम आदमी पार्टी की पंजाब में सरकार है और उसके नेता चुपचाप बैठे है और दोनों को कोस कर वह अपना काम बनाये जा रहें है।
तीन महानगरों के उमींदवार
लुधियाना से कांग्रेस के राजा अमरिंदर सिंह वडिंग,भाजपा में कांग्रेस से दलबदली कर गये रवनीत बिट्टू व आम आदमी पार्टी के पप्पी प्राशर उमींदवार है। अगर इस सीट पर जीत किसकी होगी तो क्यास लगाये जा रहें है कि हर बार यहां से कांग्रेस ही बाजी मारती थी,भाजपा का कोई भी नेता यहां से जीत नही पाया,अकाली दल के शरणजीत ढिल्लो एक बार जरूर जीते थे। वहीं अगर बात की जाये तो महानगर लुधियाना में हौजरी उद्योग की सबसे बडी मार्किट व लोहा उद्योग में सुई से लेकर जहाज तक के पार्ट बनाये जाते है। पिछले 40 दिनों से सडक व रेलवे ट्रैक जाम होने के कारण उद्योग मंदी की मार झेल कर बर्बाद होने की कगार पर जा पहुंचे है। किसी नेता ने प्रयास नही किया कि लुधियाना के कारोबारियों को पहले राहत दिलवाई जाये। ऐसा नही कि यह बडी समस्या है,मात्र 5 मिनट में इस समस्या का समाधान हो सकता है।
अमृतसर से कांग्रेस के उमींदवार सांसद गुरजीत सिंह औजला,भाजपा की तरफ से उमींदवार तरणजीत सिंह संधू व आम आदमी पार्टी की तरफ से कुलदीप सिंह धालीवाल है। अमृतसर जहां इतहातिक स्थान है,वहीं अमृतसर खानूे पीने के स्वादिष्ट भोजन के लिये भी माना जाता है,यहां पर भी कारोबार की हालत लुधियाना जैसी ही है,यहां के लोग बडे भेले भाले है,वह नेताओं की बातों में आ जाते है। इतना ही नही एक बार तो आम आदमी पार्टी के नेता छोले भठूरे फ्री में खाने को लेकर विवाद में फंसे थे। यहां की राजनिति इस कदर है कि यहां पर नेता एक दूसरे पर पैनी नजर रखते है,यहां तक कि विरोधी को यह भी पता होता है कि आज उसने क्या खाया है। यहां पर जीत हार की बात की जाये तो कांग्रेस व आकली दल के अलावा यहां भाजपा कभी जीत नही पाई। एक बार जेटली खडे हुए थे तो वह अपनी जमानत भी नही बचा पाये थे।
जालंधर में कांग्रेस के उमींदवार चरणाजीत सिंह चन्नी पूर्व सीएम पंजाब है,जबकि भाजपा की तरफ से कांग्रेस से आम आदमी पार्टी व फिर भाजपा में आये सुशील रिंकू है,जबकि आम आदमी पार्टी की तरफ से अकाली दल छोड कर आप में गये पवन टीनू है। जालंधर मीडिया व उद्योग का शहर माना जाता है,यहां पर अधिकतर लोग विदेशों में सैट है कई बडे डेरे भी है,जिनमें नेताओं को वह सबकुछ मि जाता है,जिनकी उनको जरूरत होती है। लुधियाना की तरह जालंधर में भी लोहा उद्योग गहरे सदमें है,जिसका कारण रेलवे ट्रैक प शंभू बार्डर पर किसानों का जाम है। यहां पर भी सबसे पहले नेता बडे कारोबारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे व सहायता मांग रहे थे कि उनकी मुस्बितों को चुटकियों में हल कर दिया जायेगा।
किस कदर सैलफिश होते है नेता
आम लोगों से बातचीत की तो नाम ना छाने की शर्त पर कारोबारियों ने बताया कि पिछले काफी समय से रेल और सडक जाम है,भारत में ही पंजाब व हरियाना को भारत पाकिस्तान बनाकर तीन लेयर की सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है। किसान बस यहीं चाहते है कि हरियाना पुलिस ने जो तीन किसान आपने पास जेल में रखे है,उनको रिहा कर दिया जाये,जिस कारण वह दिल्ली चलो का नारा लगाकर जा रहे थे कि हरियाना पुलिस ने उनको शंभू बार्डर पर ही रोक दिया,इस दौरान एक युवा किसान को गोलीयां लगी और वह मारा गया,इस संघर्ष के दौरान 20 के करीब किसानों ने अपनी जान गंवा दी। यहीं कारण है कि पंजाब में किसान भाजपा नेताओं को गांवों में घुसने नही दे रहे। जबकि सरकार व किसानों की लडाई के बीच हौजरी व लोहा उद्योग का अब तक हजारों करोडों का नुकसान हो चुका हे। नेता कभी कारोबारियों का हाल जानने तो नही आये अब जब वह उमींदवार बने है तो अब उनको कारोबारियों का दुख भी दिख रहा है,सत्ता भी दिख रही है और कारोबारियों की तिजौरी भी दिखाई देने लगी है। जबकि पहले किसी ने बात नही पूछी।