गाजियाबाद/ 31 मई।
डासना स्थित इंटरनेशनल एग्रो फूड कंपनी की मांस निर्यात फैक्टरी से मुक्त कराए गए नाबालिगों से रात में भी काम कराया जा रहा था। उन्हें टिन शेड डालकर रखा गया था। आठ फुट लंबे और छह फुट चौड़े कमरे में चार से पांच लोगों को रखा गया था। तीन कमरों में लगे छत के पंखे भी सही नहीं कराए गए थे। गर्मी में उमस होने से वहां सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था।
फैक्टरी से बुधवार को मुक्त कराए गए 55 नाबालिग श्रमिकों के पुलिस ने बृहस्पतिवार को बयान दर्ज किए। उन्होंने बताया कि उन्हें ठेकेदार के माध्यम से लाया गया था। ठेकेदार ने बताया था कि अच्छी तनख्वाह मिलेगी लेकिन यहां रोज के 300 से 400 रुपये ही दिए जाते थे। रहने और खाने का इंतजाम भी ठीक नहीं था।
फैक्टरी से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। सुबह से शाम तक काम कराया जाता था। इसके बाद कुछ लोगों को रात में भी बुला लिया जाता था। नाबालिगों को भी पशुओं को काटने के काम में लगाया गया था। पुलिस ने बताया कि मुक्त कराए गए 24 किशोर और 31 किशोरी बिहार और पश्चिमी बंगाल के गरीब परिवारों के हैं। सभी को शेल्टर होम में रखा गया है। किसी के पास भी उम्र का दस्तावेज नहीं है। उनका मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है। इसी से उम्र का पता चलेगा।
फैक्टरी मालिक फरार दबिश दे रही पुलिस
पुलिस ने फैक्टरी के मालिक यासीन कुरैशी, पत्नी तसलीम, बेटे जावेद और गुलशन कुरैशी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस का कहना है कि चारों आरोपी कंपनी में निदेशक हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद उनकी तलाश की जा रही है। चारों फरार हैं। उनके घर भी दबिश दी गई लेकिन वे नहीं मिले। चारों हापुड़ के बुलंदशहर रोड के रहने वाले हैं। एडीसीपी सिच्चदानंद ने बताया कि सभी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। पुलिस इस मामले में मानव तस्करी के बिंदु पर भी जांच कर रही है।
घर जाने की करती रही जिद
मांस फैक्टरी से मुक्त कराई गई किशोरियों में से एक खुद की उम्र 18 साल से ज्यादा बताती रही। उसका कहना था कि वह बालिग है और उसकी दो वर्ष की बच्ची भी है। उसके पति की मौत हो चुकी है। वह बच्ची के पास जाने की जिद करती रही। उसका कहना था कि वह मूलरूप से मेरठ की रहने वाली हैं। छह महीने पहले पति की मौत होने के बाद एक परिचित की मदद से दस दिन पहले फैक्टरी में मांस पैकिंग की नौकरी मिली थी। बच्ची का पालन पोषण करने के लिए वह मजबूरी में नौकरी कर रही है।
किशोरी की तबीयत बिगड़ी
शेल्टर होम में ले जाए जाते समय एक किशोरी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे एमएमजी अस्पताल में इमरजेंसी में लाकर भर्ती कराया गया। रात में 12 बजे फिजिशियन डॉ. आलोक रंजन ने की जांच की, तब पता चला कि खाना और दवाई नहीं खाने से मधुमेह का स्तर बढ़ गया था। उसने जांच कराने से इन्कार कर दिया, वह बार-बार घर जाने की जिद कर थी।
सोमवार को दी जाएगी रिपोर्ट
सीएमएस डॉ. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि जांच के लिए तीन डॉक्टरों का पैनल गठित किया गया है। इसमें रेडियोलॉजिस्ट डॉ. कुसुम, डेंटिस्ट डॉ. मीनाक्षी और आॅथोर्पेडिक डॉ. विनयकांत जांच कर रहे हैं। सीएमएस ने बताया कि देरी से लेकर अस्पताल में आए थे, इस कारण से सभी की मेडिकल जांच नहीं हो सकी है। शुक्रवार को रिपोर्ट तैयार करने के बाद सीएमओ को भेज दी जाएगी।
मांस फैक्टरी में रात में भी कराया जाता था नाबालिगों से काम
Palmira Nanda
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