लुधियाना की होनहार स्टूडेंट आस्था को ‘व्हिसल-ब्लोअर’ बन यौन-शोषण के खिलाफ आवाज उठाने पर मिली ‘सजा’

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युवक ने मानहानि का केस किया, फैसला उसके हक में आने से आरोपी बनी आस्था, विदेश पढ़ने जाने में अड़चन

नदीम अंसारी

लुधियाना 21 जुलाई। महानगर के बीआरएस नगर की होनहार स्टूडेंट आस्था बांबा की जिंदगी की कहानी देश के सिस्टम पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। शहर में स्कूली पढ़ाई पूरी कर साल 2018 में उसने दिल्ली जाकर श्रीराम लेडी कॉलेज में ग्रेजुएशन किया। उसी दौरान वह यौन-शोषण के खिलाफ चले सोशल-कंपेन मी-टू से भी जुड़ गई। उसी दौरान उसने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लुधियाना से ही संबंधित एक यौन-शोषण का मामला उठाया। जिसमें उसने राहुल पुरी नाम के युवक का नाम बतौर आरोपी जगजाहिर करते हुए पोस्ट डाली तो यही से उसके लिए मुसीबत खड़ी हो गई। युवक ने गाजियाबाद कोर्ट में उस पर केस किया। इसी 18 जुलाई को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने राहुल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आस्था को आरोपी करार दिया। फिलहाल 24 साल की आस्था के कैरियर पर एक बड़ा ग्रहण लग गया है। उसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अलावा कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से भी दाखिले के ऑफर मिल चुके हैं। ऐसे में इस केस का निपटारा होने के बाद ही उसका विदेश में नामचीन शिक्षण संस्थान में पढ़ने का सपना पूरा हो सकेगा। जबकि देश की अदालतों में विचाराधीन मामलों का जितना बड़ा बोझ है, उसे देखते हुए आस्था को कानूनी-छुटकारा मिलने में कई साल का वक्त भी लग सकता है।
लड़की के पेरेंट्स मानसिक परेशान : यह मामला बताते हुए आस्था के पापा अदीश बांबा बेहद तनाव में थे। उन्होंने सिलसिलेवार पूरा मामला बताया। जिसके मुताबिक आस्था ने महानगर के बीसीएम स्कूल, शास्त्री नगर में स्कूली पढ़ाई की। जब वह 11वीं क्लास में पहुंची तो उस दौरान महानगर के नामी स्कूलों, सत पॉल मित्तल स्कूल और डीएवी स्कूल में मॉक-यूएन इवेंट होते थे। जिसमें कई स्कूलों के बच्चे शामिल होते थे। युनाइटेंड नेशन से जुड़ा इवेंट और वह भी नामी स्कूलों में होने की वजह से स्टूडेंट्स के पेरेंट्स भी पूरा भरोसा करते थे। उनके मुताबिक आस्था ने शायद ‘व्हिसल-ब्लोअर’ बनने के लिए तभी अपना माइंड-मेकअप कर लिया था। दरअसल ड्रैस कोड के मुताबिक मिनी स्कर्ट में स्टूडेंट्स को इवेंट में जाना होता था। जबकि इवेंट में आए गेस्ट, स्पीकर्स और इवेंट-मैनेजर वगैराह को महानगर के बड़े होटलों से रिसीव करने और छोड़कर आने के लिए भी भेजा जाता था। देर रात तक तक स्टूडेंट्स को प्रोग्राम के दौरान रुकना होता था। उस समय आस्था को शक हो गया था कि इवेंट में आए कुछ लोग मौका देखकर गर्ल्स स्टूडेंट के साथ गलत हरकतें करते हैं। खैर, तब आस्था मानसिक तौर पर उतनी परिपक्व भी नहीं थी।
दिल्ली में मी-टू कंपेन से जुड़ी आस्था : दिल्ली जाकर लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही देश-दुनिया में मी-टू कंपेन के चलते यौन-शोषण के कई बड़े मामले चर्चा में थे। आस्था के कॉलेज में भी बोल्ड-किस्म के स्टूडेंट्स ने एक मंच बनाकर मी-टू के खिलाफ मुहिम शुरु की। जिसकी कमान आस्था को सौंपी गई। तब आस्था ने बाकायदा सोशल-मीडिया प्लेटफार्म पर अपील कर यौन-शोषण की शिकार महिलाओं-युवतियों को अपने मामले सबूत सहित भेजने को कहा। वह पीड़ितों के नाम-पहचान छिपाते हुए उनके भेजे सबूत भी गोपनीय रखती थी। जबकि आरोपियों के नाम उजागर कर देती थी।
ऐसे आया कानूनी-संकट : आस्था ने मी-टू कंपेन के दौरान ही लुधियाना में मॉक-यूएन इवेंट से जुड़ी स्टूडेंट्स से भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए अपील की। ताकि, अगर कोई छात्रा यौन-शोषण का शिकार हुई हो तो उसे कानूनी-तौर पर इंसाफ दिलाया जा सके। एक मामला उसके पास आया तो उसने आरोपी इवेंट मैनेजर राहुल पुरी का नाम सोशल-प्लेटफार्म पर उजागर कर दिया। बस यहीं से उसकी कानूनी-मुसीबत शुरु हो गई। उस युवक ने अक्टूबर, 2018 में उस पर मानहानि का केस गाजियाबाद की अदालत में कर दिया। कोरोना काल के चलते केस में लंबी तारीखें पड़ीं। उसके बाद 2023 में आस्था को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से दाखिले का आफर आ गया। लिहाजा वह कानूनी-संकट से निकलने के लिए उसी लेडी-जज से मिली, जिनकी अदालत में केस चल रहा था। आस्था के पापा के मुताबिक उस लेडी जज ने गंभीरतापूर्वक चैंबर में बयान दर्ज किए। साथ ही आस्था का पूरा पक्ष जानकर इंसाफ का भरोसा दिलाया। यह भी सुझाव दिया कि केस करने वाला युवक यदि समझौते को राजी होगा तो अदालत को कोई आपत्ति नहीं होगी। आस्था को आस बंधी, लेकिन संयोग से उस लेडी जज का तबादला हो गया। इसी बीच वह महिला आयोग भी गई, लेकिन वहां भी कुछ हासिल नहीं हो सका। खैर, आस्था के केस में फास्ट ट्रैक अदालत में नए जज ने सुनवाई की। अब उस अदालत ने आस्था के खिलाफ फैसला सुना दिया। उसे जमानत तो मिल गई, लेकिन इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने और फिर वहां भी फैसला आने में वक्त लगेगा।
एक पिता की न्यायपालिका से गुहार : आस्था के पापा अदीश बांबा के मुताबिक उनके पिता मनमोहन बांबा भी वकील हैं। बेटी की उम्र का तकाजा ही कहेंगे कि वह कानूनी-व्यवस्था को पूरी तरह नहीं समझ पाई। उन्होंने कहा कि ‘व्हिसल-ब्लोअर’ तो यौन-शोषण जैसे गंभीर अपराध के खिलाफ आवाज उठा देश के नागरिक होने के नाते नैतिक-कर्त्व्य पूरा करते हैं। न्यायपालिका को मानवीय नजरिए से, आस्था जैसी होनहार स्टूडेंट के हक में भी विचार करना चाहिए। अदालतों के पास परिस्थितियों व साक्ष्यों के आधार पर गलती की माफी देने का अधिकार होता है। लिहाजा आस्था के कैरियर को देखते हुए इस नजरिए से भी कानूनी तौर पर नरमी बरती जा सकती है। साथ ही उन्होंने रोष जताया कि इस संकट की असली वजह मॉक-यूएन जैसे प्रोग्राम के दौरान यौन-उत्पीड़न का मामला ही बना। लिहाजा ऐसे प्रोग्राम कराने वाले नामी शिक्षण संस्थानों को इवेंट टीम, स्पीकर और गेस्ट आदि के बारे में अपने स्तर से पूरी पड़ताल करनी चाहिए। पेरेंट्स तो शिक्षण संस्थान को विद्या-मंदिर मानने हुए उन पर आस्था रुपी भरोसा करते हैं।

पंजाब की इस बेटी की पैरवी करेंगे सीएम मान ?

फिलहाल कैरियर दांव पर लगने से आस्था और उसके परिजन राज्य सरकार से भी आस लगाए हुए हैं। उनको लगता है कि अगर मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रयास करेंगे तो राज्य और केंद्र सरकार के तालमेल से व्हिसल-ब्लोअर के लिए कोई राहत देने वाला कानूनी कदम भी उठाया जा सकता है। साथ ही उसके पेरेंट्स का कहना है कि जब केंद्र सरकार तीन नए क्रिमिनल कानून ला सकती है तो इस मामले में भी कोई सार्थक पहल की जा सकती है। दरअसल यह सिर्फ उनकी या पंजाब की एक बेटी के कैरियर का ही नहीं, तमाम व्हिसल ब्लोअर के भविष्य का सवाल है। जो अपना कर्तव्य निभाने के दौरान कानूनी-संकट में फंस जाते हैं।

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