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लोक सभा चुनाव 2024: बाकी बचे दो चरणों में कांग्रेस करेगी आर पार की लडाई,

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लुधियाना, 23 मई: देश में पांच चरणों के लोक सभा चुनाव निपट चुके हैं। अब छठें और सातवें चरण के चुनाव बचे हैं। इन दोनों चरणों को लेकर कांग्रेस ने जहां अपने प्रचार को पुरजोर ढंग से चलाने की योजना बनाई है, वहीं वह रणनीतिबद्ध तरीके से जमीनी मुद्दों को सामने रख रही है। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल और पंजाब कांग्रेस के लिए बेहद अहम हैं। इस बार कांग्रेस इन सभी राज्यों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। इन चार राज्यों में से पंजाब को छोड़ दें तो बाकी तीनों जगह मुकाबला बीजेपी और इंडिया गठबंधन के बीच है, जबकि हरियाणा और हिमाचल में तो बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर है। इन चार राज्यों और केंद्रशामित प्रदेश चंडीगढ़ में कुल 35 सीटें हैं, जिनमें से 24 सीटें बीजेपी को मिली थीं, जबकि दो सीटें अकाली दल को गई थीं, जो तब भाजपा का हिस्सा था। कांग्रेस को आठ और आप को एक सीट मिली थी। इस बार कांग्रेस को यहां से बेहतर की उंमीद है, यही वजह है कि कांग्रेस इन राज्यों में जोर लगा रही है।
पंजाब में पुराने प्रदर्शन को दोहराने की चाह
पंजाब में कांग्रेस और आप अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। पिछली बार आठ सीटें निकालने वाली कांग्रेस एक बार फिर अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने की उंमीद कर रही है। यहां दोनों दलों की कोशिश है कि ज्यादातर सीटों पर मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच हो। यहां बीजेपी और अकाली दल भी मैदान में हैं लेकिन अलग-अलग होकर लड़ रहे दोनों दलों का प्रभाव जमीन पर वैसा नहीं दिख रहा, जैसा पिछली बार था। माना जा रहा है कि कई जगह ये दोनों दल एक दूसरे के वोट काटेंगे। कांग्रेस इसे अपने लिए फायदे के तौर पर देख रही है। पंजाब में आप सरकार के खिलाफ लगभग दो साल की एंटी इनकंबेंसी है, कांग्रेस इस नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। पिछली बार कांग्रेस को यहां गुटबाजी भारी पड़ी थी, लेकिन इस बार काफी हद तक पार्टी ने उस पर काबू पाने में सफलता पाई है। पंजाब से कांग्रेस के कई नेताओं ने बीजेपी का रुख किया है, उनमें से परणीत कौर और रवनीत सिंह बिद्दू प्रमुख हैं जबकि कांग्रेस ने यहां अपने तमाम अहम चेहरों को उतारा है, जिनमें पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, सुखपाल सिंह खैरा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, मौजूदा सांसद अमर सिंह, गुरजीत सिंह औजला, विजय इंदर सिंगला और धर्मवीर गांधी जैसे नाम अहम हैं।
दिल्ली में भाजपा को रोकने की स्ट्रैटजी
दिल्ली की सात सीटों पर कांग्रेस आप के साथ मिलकर इंडिया गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। यहां कांग्रेस और आप के नेताओं ने एक-दूसरे के लिए प्रचार करना शुरू कर दिया है, ताकि जमीन पर एक-दूसरे के काडर और वोटर्स के बीच समन्वय हो सके। पिछले दिनों राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रचार में कहा था कि मैं इस बार झाडू पर बटन दबाऊंगा और केजरीवाल पंजे पर मुहर लगाएंगे। केजरीवाल भी चांदनी चौक की सभा में अपने काडर को कुछ इसी तरह का संदेश दे चुके हैं। दोनों दल मिलकर दिल्ली की सातों सीटों पर मोदी सरकार की हैटट्रिक को रोकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी और खरगे की दिल्ली में अब तक एक-एक रैली हो चुकी है, जबकि गुरुवार को राहुल नॉर्थ ईस्ट और नॉर्थ वेस्ट में रैली करने जा रहे हैं, जबकि सचिन पायलट भी यहां सक्रिय हैं।
हरियाणा में एंटी इनंकंबेंसी भुना पाएगी कांग्रेस?
हरियाणा में पिछले दो बार से दसों सीटें बीजेपी निकालती रही है लेकिन इस बार कांग्रेस को यहां से काफी उंमीदें हैं। कांग्रेस ने दीपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा जैसे बड़े चेहरों को उतारा है। कुछ महीने बाद यहां असेंबली चुनाव होने हैं इसलिए भी कांग्रेस यहां पूरा जोर लगाए है। कांग्रेस यहां बीजेपी की डबल इंजन सरकार के खिलाफ दस साल की एंटी इनंकंबेंसी को भुनाने में लगी है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने बचे हुए दो चरणों में महंगाई और बेरोजगारी के साथ-साथ इन राज्यों में किसानों के मुद्दे खासकर एमएसपी की गांरटी और अग्निवीर पर ज्यादा फोकस करने की योजना बनाई है। दरअसल, देश में पंजाब और हरियाणा में किसानों के मुद्दों पर जमीन पर नाराजगी सबसे ज्यादा प्रमुख है। वहीं इन दोनों राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश से काफी मात्रा में नौजवान फौज में जाते हैं, इसलिए कांग्रेस यहां इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है। हरियाणा में कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र की सीट गठबंधन के तहत आप को दी है। कांग्रेस यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर राज्य में असेंबली चुनावों के मद्देनजर अपने लिए एक ठोस आधार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है। हरियाणा में संभावनाओं को देखते हुए कांग्रेस यहां जोरदार रैलियां कर रही है। बुधवार को राहुल गांधी ने राज्य में तीन रैलियां महेंद्रगढ़, पचकुला और सोनीपत में की।
हिमाचल में प्रतिष्ठा की चिंता
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीटें निकालना चाहती है। मंडी की सीट खासकर कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। बॉलिवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के खिलाफ विक्रमादित्य सिंह को उतारकर कांग्रेस ने यहां मुकाबले को खासा रोचक बना दिया है। मंडी हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह परिवार के लिए प्रतिष्ठा से जुडी रही है। यहां से वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह जीतते रहे हैं। वहीं कांग्रेस यहां से सीटें निकालकर बीजेपी को एक संदेश देना चाहती है कि प्रदेश पर अब भी उसकी पकड़ है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान यहां कांग्रेस की सुक्खू सरकार जाते-जाते बची। ऐसे में यह चुनाव सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा से भी जुड़ा है।

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