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लुधियाना से हो सकती है भाजपा उम्मीदवार लेखी !

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ऐसी सियासी-चर्चाओं को खुद ही हवा दे गईं केंद्रीय मंत्री,

इसके गहरे सियासी-मतलब, शायद न हो सके भाजपा-अकाली गठजोड़

कई ठोस वजह मानी जा रहे लेखी की दावेदारी के पीछे सियासी-जानकार

नदीम अंसारी

लुधियाना 18 मार्च। सोमवार को यहां इस सियासी-चर्चा ने और जोर पकड़ लिया कि केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी लोकसभा सीट लुधियाना से भाजपा की प्रत्याक्षी हो सकती हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि यहां दौरे पर आईं लेखी खुद ही सियासी-चर्चा को और हवा दे गईं। मीडिया से रु-ब-रु केंद्रीय मंत्री लेखी ने इस बाबत किए सवालों पर ना के साथ हां वाले सियासी अंदाज में बड़ी सफाई से इशारे में ही अपनी मंशा जाहिर कर दी। अपनी दावेदारी को पूरी तरह खारिज न करते हुए अनुशासित पार्टी की वफादार सिपाही वाले लहजे में कह डाला कि वैसे तो उनकी यहां से फिलहाल तक दावेदारी नहीं है। फिर भी पार्टी हाईकमान का फरमान हुआ तो मानना ही पड़ेगा।

क्या अकालियों से गठबंधन नहीं हो रहा ? लेखी को भाजपा की सीनियर नेताओं में शुमार करने के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की विश्वासपात्र भी माना जाता है। ऐसे में एक सवाल पर उन्होंने साफतौर पर यह दावा नहीं किया कि पंजाब में अकालियों के साथ गठबंधन होना जरुरी है या जरुर होना ही चाहिए। लगे हाथों यह भी कहकर कि गठबंधन पंजाबियों के हितों का पूरी तरह ख्याल रखते हुए होगा, इशारा दिया कि अब भाजपा पहले की तरह शिअद के सामने घुटने टेककर समझौता करने नहीं जा रही। इस संकेत का दूसरा पहलू यह भी है कि गठबंधन होने वाली चर्चाएं बहुत दमदार नहीं हैं। वहीं, लेखी का लुधियाना से अपनी दावेदारी को हवा देने वाला सियासी-पैंतरा भी कुछ ऐसे ही संकेत देता है। साफतौर पर गठबंधन न होने की सूरत में भाजपा को लुधियाना में सियासी-मैदान साफ मिलेगा।

 

लेखी की दावेदारी क्यों मजबूत होगी : जानकारों का मानना है कि सियासत में सब कुछ मुमकिन है। गठबंधन होने की सूरत में भी भाजपा, शिअद के साथ पंजाब में अपने-अपने पिछले सियासी रिकार्ड के आधार पर लुधियाना सीट की शेयरिंग की शर्त लागू कर सकती है। तब भाजपा की दावेदारी केंद्र सरकार के जरिए लुधियाना में डेवलपमेंट कराने के आधार पर मजबूत हो सकती है। इस सूरत में दूसरी बात रही भाजपा उम्मीदवार तय करने की तो जानकारों की नजर में स्थानीय स्तर पर पार्टी के पास कोई मजबूत दावेदार या कहें चर्चित चेहरा नहीं है। ऐसे में लेखी की दावेदारी इसलिए मजबूत हो सकती है कि वह पंजाबी हैं। पंजाब, खासतौर पर लुधियाना से उनका जुड़ाव भी है। पिछले विधानसभा चुनाव में वह भाजपा की जिला इलैक्शन इंचार्ज रहते करीब से मतदाताओं की नब्ज टटोल चुकी हैं। राजनीतिक-पृष्ठभूमि की बात करें तो वह नई दिल्ली जैसी हॉट-सीट पर दो बार चुनाव लड़कर जीतीं। जबकि पार्टी हाईकमान और पीएम मोदी की गुड-बुक में शामिल होने के एवज में केंद्रीय मंत्री पद भी हासिल किया था। वरिष्ठ वकील होने के साथ ही केंद्र सरकार की कई महत्वपूर्ण कमेटियों में भी रही हैं।

आधी आबादी भी होगी प्रभावित : जानकारों का यह भी मानना है कि अगर लेखी को भाजपा उम्मीदवार बनाएगी तो इसका असर आधी आबादी यानि महिला मतदाताओं पर खासतौर से पड़ेगा। फिलहाल तक कांग्रेस समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों से किसी भी महिला उम्मीदवार की मजबूत दावेदारी नजर नहीं आ रही। अगर भाजपा से ही अकेली महिला उम्मीदवार रहेगी तो पार्टी को इसका बड़ा सियासी फायदा मिल सकता है।

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