डॉ.मित्रा और डॉ.रहमान ने कुल बजट से1.8 फीसदी सेहत के नाम पर खर्च करने को बताया क्रूर मजाक
लुधियाना/यूटर्न/23 जुलाई। स्वास्थ्य बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डेवलपमेंट ने तीखा रोष जताया है। आईडीपीडी के अध्यक्ष डॉ. अरुण मित्रा ने कहा है कि स्वास्थ्य के लिए आवंटन लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने से बहुत दूर है।
प्रति व्यक्ति केवल 638 रुपये बजट !
कुल 48.21 लाख करोड़ रुपये के बजट में से स्वास्थ्य के लिए आवंटन केवल 89287 करोड़ रुपये है। इसका मतलब है कि स्वास्थ्य को कुल बजट का केवल 1.8% आवंटित किया गया है। अगर हम अपनी 140 करोड़ की आबादी के लिए बजट की कुल राशि की गणना करें तो यह प्रति व्यक्ति केवल 638 रुपये आती है। यह लोगों के साथ एक क्रूर मजाक है, क्योंकि हम स्वास्थ्य संकेतकों में सबसे निचले पायदान पर हैं और हमारा सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च भी दुनिया में सबसे कम है। आईडीपीडी के महासचिव डॉ. शकील उर रहमान ने कहा कि सरकार का दावा है कि उन्होंने स्वास्थ्य बजट में 13% की वृद्धि की है, यह झूठ का पुलिंदा है। पिछले वर्ष स्वास्थ्य पर बजट आवंटन 88956/- करोड़ रुपये था जिसे बाद में संशोधित कर 79221/- करोड़ रुपये कर दिया गया। वे संशोधित बजट से वृद्धि की गणना कर रहे हैं जबकि उन्होंने स्वास्थ्य के लिए आवंटन में कमी लाने वाले इस संशोधन की कोई तारीख नहीं बताई है।
पिछले अनुभव को देखते हुए पूरी संभावना है कि इस साल भी बजट में संशोधन के बाद कटौती की जायेगी। हर साल स्वास्थ्य पर जेब से खर्च के कारण पहले से ही 5.5 करोड़ लोग गरीबी की ओर धकेल दिए जाते हैं। यह लोगों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की पूर्ण उदासीनता और स्वास्थ्य सेवा के और अधिक निगमीकरण की ओर धकेलने को दर्शाता है।
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