लुधियाना 2 नवंबर। एसोसिएशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (एटीआईयू) ने पंजाब के सबसे बड़े औद्योगिक केंद्रों में से एक, लुधियाना के फोकल पॉइंट में नागरिक सुविधाओं की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डालने के लिए एक बैठक आयोजित की। सदस्यों ने उचित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के अभाव और क्षेत्र में सड़कों एवं सीवरेज के बुनियादी ढाँचे के खराब रखरखाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की। एटीआईयू के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने कहा कि फोकल पॉइंट में कई खाली प्लॉट घरेलू कचरे के ढेर में बदल गए हैं। सभी औद्योगिक इकाइयों को घरेलू कचरे का निपटान स्वयं करना पड़ता है। लेकिन नगर निगम के उच्च प्रबंध न होने के कारण कचरा सड़कों के किनारे या खाली प्लॉटों में फेंक दिया जाता है। इसके अलावा, लुधियाना नगर निगम से सड़कों की सफाई के लिए इंडस्ट्री को कोई सहयोग नहीं मिलता है। इस संबंधी कई बार निगम अधिकारियों को शिकायतें की जा चुकी है। लेकिन वह टाल मटोल कर देते हैं। हालात यह है कि निगम के मुलाजिम एक तरफ सरकार से सैलरी ले रहे हैं और दूसरी तरफ इंडस्ट्री से पैसे लेकर फिर काम करते हैं।
सरकार को ठोस कदम उठाने की जरुरत
एसोसिएशन ने नगर निगम लुधियाना और पंजाब सरकार से आग्रह किया कि वे सफाई व्यवस्था में सुधार, सीवर लाइनों की मरम्मत और फोकल प्वाइंट औद्योगिक क्षेत्र में कचरा प्रबंधन के लिए एक संरचित प्रणाली स्थापित करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाएं।
सरकार व निगम अफसर नहीं करती सुनवाई
एटीआईयू के अध्यक्ष पंकज शर्मा ने कहा कि टैक्स भुगतान में देरी होने पर औद्योगिक इकाइयों को एक दिन की भी छूट नहीं दी जाती। हालाँकि, ऐसा लगता है कि करदाताओं को मिलने वाली बुनियादी नागरिक सुविधाएँ प्रदान करने के लिए सरकार पर कोई बाध्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री को नर्क भरी जिंदगी व्यतीत करनी पड़ रही है। लेकिन सरकार व निगम अफसर सुनवाई नहीं करते।
35 साल में कभी नहीं दिखे सफाई कर्मी
एटीआईयू के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल सचदेवा ने कहा कि फोकल पॉइंट में अपने 35 वर्षों के कार्यकाल के दौरान, मैंने शायद ही कभी किसी सफाई कर्मी को सड़कें साफ़ करते देखा हो। हमें एटीआईयू की अपनी व्यवस्था के तहत व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से सफ़ाई का प्रबंधन करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
सीवरेज सफाई के लिए निगम कर्मियों को देने पड़ते हैं पैसे
एटीआईयू के वित्त सचिव संजय गुप्ता ने कहा कि फोकल प्वाइंट की कई सीवर लाइनें हमेशा जाम रहती हैं। हमें निगम के सीवर कर्मचारियों को उनकी ड्यूटी के बाद साफ करवाने के लिए निजी तौर पर पैसे देने पड़ते हैं। जबकि यह वहीं लोग हैं तो अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतते हैं।
सबसे ज्यादा टैक्स देने पर भी यह हालात
एटीआईयू के उपाध्यक्ष भूषण गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार हमें ज़रूरी नागरिक सुविधाएँ भी नहीं दे सकती, तो इतने सारे टैक्स चुकाने का क्या फ़ायदा है। जबकि इंडस्ट्री सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स अदा करती है। लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किलें भी इंडस्ट्री को ही देखनी पड़ती है।
लुधियाना सबसे ज्यादा टैक्स अदायगी वाला शहर
एस.एन. ब्रदर्स के मालिक नीरज धमीजा ने कहा कि लुधियाना पंजाब का सबसे ज़्यादा टैक्स देने वाला शहर है और फोकल पॉइंट राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है। फिर भी, यहाँ दी जाने वाली सुविधाएँ न्यूनतम मानकों से भी नीचे हैं।
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