हरियाना/यूटर्न/29 अगस्त: हरियाणा में 2024 में सरकार बनाने का रास्ता जीटी रोड से होकर ही गुजरेगा। पिछले दो चुनावों से यहां से जीत हासिल करने के बाद सत्ता की कमान संभालने वाली भाजपा के लिए इस बार गढ़ बचाने की चुनौती है। वहीं, दस साल से सत्ता से बेदखल कांग्रेस एंटी इंकम्बेंसी के सहारे यहां सेंध लगाने की कोशिश में है। हालांकि, कांग्रेस के लिए राह इतनी आसान नहीं है। क्योंकि जीटी बेल्ट पर भाजपा के दिग्गज नेताओं का वर्चस्व है, जबकि कांग्रेस के पास ऐसा कोई बड़ा चेहरा नहीं है जिसका पूरी बेल्ट पर असर हो। पंचकूला से लेकर पानीपत जिले तक पांच जिलों की कुल 23 विधानसभा सीटें हैं।वर्तमान में इनमें से कांग्रेस के पास 9 और भाजपा के पास 12 सीटें हैं। वहीं, एक सीट जजपा और एक निर्दलीय के पास है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अंबाला सीट जीती, जबकि कुुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा सीट भाजपा के खाते में गईं। अंबाला सीट जीतने के बाद से कांग्रेस उत्साहित है और भाजपा के गढ़ को भेदने के लिए तैयारियों में जुटी है। पहली बार जीटी बेल्ट से मुखयमंत्री देने वाली भाजपा के पास इस बेल्ट पर कई मंत्रियों के साथ बड़े नेता भी हैं। ब्लाक से लेकर बूथ स्तर पर भाजपा का संगठन है। कांग्रेस बिना संगठन के ही जनता के बीच जा रही है और भाजपा सरकार की नीतियों और पीपीपी व प्रॉपर्टी आईडी की खामियों को मुद्दा बना रही है।
इन बिरादरियों का प्रभाव
इस बेल्ट पर पंजाबी समुदाय, वैश्य, राजपूत, सिख, ब्राह्मण, जाट, एससी और ओबीसी के मतदाता बैंक अधिक हैं। भाजपा पूरी तरह से गैर जाट की राजनीति कर रही है और उसे ओबीसी के साथ-साथ पंजाबी समुदाय से भी समर्थन की पूरी आस है। कांग्रेस को जाट और एससी वर्ग के मतदाताओं से आस है।
सीएम, पूर्व सीएम, स्पीकर और 4 मंत्रियों और 2 पूर्व मंत्रियों की साख दांव पर
पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष हैं। करनाल से मौजूदा सीएम नायब सैनी विधायक हैं और सांसद मनोहर लाल हैं। वर्तमान में अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल परिवहन मंत्री, यमुनानगर जिले के जगाधरी से विधायक कंवर पाल गुर्जर कृषि मंत्री, कुरुक्षेत्र के थानेसर से विधायक सुभाष सुधा निकाय मंत्री और पानीपत ग्रामीण से विधायक महीपाल ढांडा पंचायत मंत्री हैं। इसी प्रकार अंबाला कैंट से विधायक अनिल विज पूर्व गृह मंत्री रहे हैं। कुरुक्षेत्र के पिहोवा से विधायक संदीप सिंह मनोहर सरकार में मंत्री रहे हैं।
कांग्रेस के पास ये हैं योद्धा
कांग्रेस के पास अंबाला लोकसभा सीट से सांसद वरुण चौधरी हैं। कुमारी सैलजा का भी इस बेल्ट में खासा प्रभाव है। अंबाला में पूर्व मंत्री निर्मल सिंह हैं। कांग्रेस के नौ विधायक हैं, लेकिन इनमें से कुछ का प्रदर्शन इतना बेहतर नहीं है। चित्रा सरवारा युवा चेहरा हैं और पिछली बार वह निर्दलीय चुनाव लडक़र विज से हार गई थीं, लेकिन इस बार वह कांग्रेस में हैं और पूरे उत्साह के साथ मैदान में डटी हैं।
रोजगार और बाढ़ बड़े मुद्दे
पंजाब के साथ लगती जीटी बेल्ट का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है। पिछले दस साल में यहां पर कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं लग पाया, जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके। दूसरा, हर साल बारिश के सीजन में आने वाली बाढ़ के चलते शहरों के साथ साथ कई गांव चपेट में आ जाते हैं। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। मंत्रियों तक आवास और कॉलोनियां बाढ़ में डूबी हैं। इसके अलावा इन जिलों में लगातार बढ़ता नशा भी बड़ा मुद्दा है। हरियाणा बनने के बाद पहली बार जीटी बेल्ट में सत्ता का केंद्र होना और सीएम का ओबीसी चेहरा होना भी मुद्दा बनाया जा रहा है। लोगों को ये भी बताया जा रहा है कि अगर भाजपा हारी तो उत्तरी हरियाणा से सीएम नहीं बन पाएगा। पूर्व मंत्री विनोद शर्मा हरियाणा के बड़े ब्राह्मण नेता हैं। अंबाला सिटी में उनका अच्छा खासा प्रभाव है। मौजूदा समय में उनकी पत्नी अंबाला नगर निगम की मेयर हैं और बेटा राज्यसभा में सांसद। अपनी खुद की हरियाणा जन चेतना पार्टी के बैनर तले वह अंबाला सिटी से ताल ठोकेंगे। उनके बेटे को भाजपा की मदद से राज्यसभा में सदस्यता मिली तो इसके बदले में लोकसभा चुनाव में विनोद शर्मा ने खुलकर भाजपा का समर्थन किया।
करनाल में ब्राह्मण संमेलन कर मनोहर लाल का खुला समर्थन भी किया। शर्मा का जीटी बेल्ट की सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं पर प्रभाव है। ऐसे में उनका रुख क्या होगा, ये भी देखने वाली बात है। चर्चा ये भी है कि गोपाल कांडा की तर्ज पर अंबाला सिटी से भाजपा अपना प्रत्याशी न उतारे और असीम गोयल को पंचकूला शिफट किया जाए।
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भाजपा की चुनौती गढ़ बचाना… कांग्रेस चाहती है किला ढहाना, दस साल में कमल की पकड़ हुई ढीली!
Kulwant Singh
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