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भाजपा ने बदला पैंतरा,धारा 370 की बजाये अब नौकरियों पर आई भाजपा

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(चंडीगढ/ 16 मई): हरियाणा लोकसभा की अधिकतर सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने मतदान से चंद दिन पहले अपनी रणनीति बदल दी है। राम मंदिर और अनुच्छेद 370 के केंद्रीय मुद्दों के यहां कमजोर पडऩे के बाद अब भाजपा स्थानीय स्तर के मुद्दों पर आ गई है। प्रचार को धार देने के लिए स्थानीय मुद्दों में खासकर पिछले नौ साल में बिना पर्ची और खर्ची के युवाओं को दी गई नौकरियों को भाजपा ने प्रमुख मुद्दा बनाया है। इसी मुद्दे को हथियार बनाकर भाजपा जहां अब कांग्रेस पर हमलावर हो गई है, वहीं लाखों उन युवाओं जिनको नौकरियां मिली है और लाखों वे युवा जिनको नौकरी की आस है और उनके परिवारों को साधने की कोशिश की जा रही है। अगले एक सप्ताह में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता उन सभी 1.30 लाख युवाओं के घर दस्तक देने वाले हैं, जिनकी इस सरकार में सरकारी नौकरियां लगी हैं। सरकार के पास सभी युवाओं और उनके परिवार का पूरा डाटा है। जिन युवाओं और परिवारों में नौकरयां नहीं मिल पाई हैं, उनको संदेश देना कि बिना पहचान और सिफारिश के नौकरियां भाजपा ही दे सकती है।
दूसरा, भाजपा नेताओं का मानना है कि घर में एक सरकारी नौकरी मिलने से कम से कम उसके परिवार व रिश्तेदारी के 10 वोट प्रभावित होते हैं। इसलिए भाजपा इस अभियान के जरिये 13 लाख से अधिक मतदाताओं को साधने की कोशिश में है। इनके अलावा हरियाणा कौशल रोजगार निगम में लगे एक लाख से अधिक कर्मचारियों के घर भी दस्तक देने की योजना है। अगर भाजपा इन मतदाताओं का साधने में कामयाब रहती है तो यह एंटी इंकमबेंसी का बड़ा तोड़ होगा। इनमें नई नियुक्तियां पाने वाले 13 हजार 133 युवा और ठेके पर काम कर रहे 1 लाख पांच हजार 747 युवा भी शामिल हैं।
पहले नौकरियां बिकती थी मनोहर
रणनीति के तहत पूर्व मुखयमंत्री मनोहर लाल के भाषण के मुद्दे अचानक से बदल गए हैं। मनोहर लाल सीधे नौकरियों के मुद्दे पर आ रहे हैं। रैलियों में वह सीधे जनता से पूछने लगे हैं कि पहले हरियाणा में नौकरियां बिकती थीं या नहीं। रेट भी बंधे हुए थे। क्लर्क से लेकर ऊपर के लेवल तक रेट तय थे। मनोहर लाल ने कहा कि पहले नौकरी के लिए युवा पिता की जमीन बिकवा देते थे। मनोहर बोले बेशक वह आज मुखयमंत्री नहीं हैं, मगर यदि किसी ने पैसा लिया है तो बता देना गर्दन पकड़ कर पैसा वापस दिलवाएंगे।

हरियाणा में रोजगार बड़ा मुद्दा
हरियाणा में शुरू से सरकारी नौकरी बड़ा मुद्दा रही है और इसे रुतबे के सिंबल पर देखा जाता है। हालांकि, बेरोजगारी दर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं। जब से हरियाणा बना तभी से नौकरियों को लेकर आरोप लगते रहे हैं कि पार्टियों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के जानकारों को नौकरियां दी गई हैं। किसी भी सूरत में हरियाणवी सरकारी नौकरी चाहता है। खासकर युवा सरकारी नौकरियों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहे हैं। एक तो हरियाणा के युवा विदेशों में पलायन कर रहे हैं, दूसरा अन्य राज्यों में नौकरियों को लेकर भी प्रदेश के युवा पीछे नहीं हट रहे हैं। ये बात अलग है कि बाहरी राज्यों में पेपर लीक मामलों में भी हरियाणा के युवा पकड़े जा रहे हैं।
60 हजार और नौकरियां हैं लंबित, चेयरमैन किया नियुक्त
एक दिन पहले हरियाणा सरकार ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष के तौर पर हिंमत सिंह को जिंमेदारी सौंपी है। यह नियुक्ति भी लंबित पड़ी नौकरियों की प्रक्रिया को तेज करने के लिए ही की गई है, ताकि युवाओं को संदेश दिया जा सके कि आचार संहिता के बाद शेष भर्तियों के परिणाम भी जारी किए जाएंगे। अभी आयोग के पास 60 हजार पदों पर भर्ती लंबित है। इनमें ग्रुप सी और ग्रुप डी के पद इनमें शामिल हैं। सभी को पता है कि पहले नौकरियां कैसे क्षेत्र और जाति को देखकर मिलती थी। हमने इस व्यवस्था को बदला है। हिसार से कांग्रेस के प्रत्याशी ने तो अभी से कहना शुरू कर दिया है कि हम अपने लोगों को नौकरियां देंगे।

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