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लुधियाना में कांग्रेस को करारा झटका भाजपा में शामिल हो गए सांसद बिट्टू

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शिअद से गठजोड़ नहीं होने के ऐलान
करते ही बीजेपी ने चल दिया यह दांव

लुधियाना/यूटर्न/26 मार्च। लोकसभा चुनाव के काउंट-डाउन के साथ ही मंगलवार को पंजाब में दो बड़े सियासी-धमाके हो गए। भारतीय जनता पार्टी ने सुबह शिरोमणि अकाली दल-बादल से गठजोड़ न होने का ऐलानिया फैसला किया। फिर दिन ढलने से पहले राजधानी दिल्ली में बीजेपी हैडक्वार्टर में न्यौता लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को पार्टी ज्वाइन करा दी।
काबिलेजिक्र है कि तीन बार सांसद रहे बिट्टू ने पहला चुनाव आनंदपुर साहिब से जीता था। फिर दो बार लुधियाना सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर आसानी से जीत गए थे। इसी जिले से ताल्लुक रखने वाले भूतपूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पौत्रे होने के कारण उनको सियासत तो विरासत में ही मिली हुई थी। दूसरा अहम पहलू यह है कि आतंकवाद की भेंट चढ़े सीएम बेअंत सिंह की शहादत के चलते उनके परिवार से समाज का एक बड़ा वर्ग भावनात्मक रुप से जुड़ा रहा है। सियासी-जानकारों की मानें तो भाजपा के चुनावी-रणनीतिकारों ने कांग्रेस में सियासी सर्जिकल-स्ट्राइक के तहत इस बार एक तीर से दो शिकार करने वाला दांव चला है। कांग्रेस को कमजोर करने के साथ पंजाब की जनता को यह संदेश भी देना का प्रयास किया है कि वह अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा पर पूरी तरह कायम है।
बताते चलें कि आज सुबह ही भाजपा के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने अकालियों से गठजोड़ न करने का ऐलान करते हुए दावा किया था कि इसी साझेदारी में राष्ट्रवाद व जनहित के मुद्दे आड़े आ रहे थे। अब कांग्रेसी सांसद बिट्टू के पार्टी ज्वाइन करने के बाद पंजाब के भाजपा नेता जोरदारी से दलीलें देंगे। वे चुनावी सभाओं में यहां यही कहेंगे कि उन्होंने ‘राष्ट्रवादी’ विचारधारा वाले परिवार से जुड़े राजनेता को ही पार्टी में शामिल किया। जबकि अपनी राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण ही अकालियों से गठजोड़ नहीं किया।
राहुल के नजदीकी रहे बिट्टू : सासंद बिट्टु को कांग्रेस ब्रिगेड के कमांडर राहुल गांधी का करीबी माना जाता था। बिट्टू ने बीजेपी में जाने से पहले अपने ‘एक्स’ पोस्ट में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला था। उन्होंने लिखा था कि केजरीवाल एंड पार्टी स्वराज और जन लोकपाल का वादा करके सत्ता में आई थी, लेकिन विडंबना यह है कि वे सबसे बड़े ठग साबित हुए। दिल्ली में भ्रष्टाचार का यह मामला तो बस शुरुआत भर है। उनके इस ट्वीट से कांग्रेसी सबसे ज्यादा हैरान थे, क्योंकि पार्टी हाईकमान ने तो केजरीवाल के मुद्दे पर भाजपा का खुलकर विरोध किया था।
बीजेपी ज्वाइन करने के पीछे बताई यह वजह : बीजेपी ज्वाइन करने के पीछे की वजह गिनाते हुए बिट्टू ने कहा कि पीएम मोदी जी के साथ पिछले 10 वर्षों में गहरे संबंध रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा साहब का आभार जताता हूं। मैं एक ही बात कहूंगा कि मैं एक शहीद परिवार से आता हूं। मेरे दादा बेअंत सिंह मुख्यमंत्री थे। पंजाब में अंधेरे का समय देखा और उसे कैसे ठीक किया, वह भी देखा है। पीएम मोदी पंजाब के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं। बाकी स्टेट कहां से कहां चले गए, लेकिन पंजाब में एक गैप रह गया, जहां पुल बनने की जरूरत है। आगे कहा कि पंजाब के किसान, मजदूर और उद्योग को साथ लाने की जरूरत है। लोगों को पता है कि सरकार 10 साल रही और आगे भी रहेगी, तो हम क्यों पीछे रहें। हमारा पंजाब क्यों पीछे रहे। एक टाइम था कि अकाली ऐसा बिल लेकर आए कि जनता गुमराह हो गई। अब उससे पीछे हट गई। हम पंजाब के लोगों को बीजेपी और पीएम मोदी से जोड़ेंगे।
आशु हो सकते हैं कांग्रेसी उम्मीदवार
समर्थक नजर आ रहे पूरे जोश में
लंबे वक्त से सांसद बिट्टू के साथ सियासी कदमताल करने वाले सूबे के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु अब लुधियाना से कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। बिट्टू के बीजेपी ज्वाइन करते ही यह सियासी चर्चा जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेस में बिट्टू-आशु की जोड़ी मशहूर रही है। जैसा कि सियासत में सब कुछ मुमकिन है तो बदले हुए सियासी हालात में लुधियाना से कांग्रेसी उम्मीदवार आशु बन जाएं तो कोई ताज्जुब नहीं होगा। जानकारों की नजर में अब कांग्रेस के पास इस सीट से आशु के अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। जो बिट्टू के यहां से बीजेपी उम्मीदवार होने की सूरत में उनको चेलेंज दे सके। वैसे सियासत का यह पुराना दस्तूर है कि यहां कोई परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। अपनी खोई सियासी जमीन तलाश रहे आशु को भी लुधियाना सीट से चुनाव लड़ने पर कोई ऐतराज नहीं होगा।
बिट्टू के बीजेपी खेमे में जाते ही अंदरखाते आशु समर्थकों ने जश्न मनाना शुरु कर दिया। वे पूरे जोश में हैं और उनको भरोसा है कि अब आशु की सियासी लॉटरी लग जाएगी। कांग्रेस हाईकमान उनको यहां से अपना उम्मीदवार बनाकर बीजेपी पर जोरदार पलटवार करेगा। दूसरी तरफ, अन्य प्रमुख दलों के नेता भी इस संभावना के मद्देनजर कांग्रेस पर पूरी निगाह गड़ाए हुए हैं।

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