यादें : हिंदुस्तान टायर कंपनी के फाउंडर चेयरमैन सोमनाथ सैनी थे देशभक्ति के जज्बे और जिंदादिली की नायाब मिसाल

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कभी टायर मिलते थे राशन कार्ड पर तो कंपनी का नाम रखा ‘हिंदुस्तान’ और हौंसला देखिए, अकेले एंज्योग्राफी करा आए

लुधियाना, 17 अगस्त। देशभक्ति के जज्बे और जिंदादिली की नायाब मिसाल थे इस औद्योगिक महानगर के नामचीन कारोबारी सोमनाथ मैनी। दुखद, पहलू उद्योग-जगत और समाज को मरते दम तक बहुत कुछ देने की हसरत पाले वह 6 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह गए। अगले दिन उनका अंतिम संस्कार किया गया। साइकिल इंडस्ट्री के अलावा तमाम ट्रेड से जुड़े नामी उद्यमियों, राजनेताओं, समाजसेवियों और गण्यमान्य लोगों ने उनको श्रद्धासुमन अर्पित किए।

महानगर के रखबाग के पास रहने वाले स्व.मैनी की जिंदगी का अहम पहलू, 83 साल की उम्र वाले इस शख्स ने अपनी जवानी के दौर में बीए ग्रेजुएशन के बाद रबड़ के स्पेश्लाइजेशन का डिप्लोमा किया था। तब बिरले ही इतना पढ़ पाते थे। उनकी एक और संस्कारिक-खासियत, उन्होंने बड़े भाई स्व.बीसी मैनी के साथ कारोबारी शुरुआत की थी, जिन्हें वे पिता समान मानते थे। इतना ही नहीं, रुढ़ीवादी सोच के उलट उन्होंने हमेशा अपने बेटों से ज्यादा बहुओं को बेटी जैसा सम्मान दिया। वहीं, पोते-पोतियों से उनका खास लगाव था और उनको उच्च शिक्षा दिलाने विदेश तक भेजा। हाल ही में वह अपनी पोती से मिलने के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे। उनके बेटे विजय मैनी, मुनीष मैनी व दीप मैनी अपने पिता के निधन से आहत जरुर हैं, लेकिन उनके द्वारा दिए संस्कारों और उनकी विरासत को लेकर गर्व महसूस करते हैं। वे इस बात पर भी फख्र महसूस करते हैं कि आज भी उनका संयुक्त परिवार है, जिसे जोड़ने में उनके पिता की अहम भूमिका रही।

वहीं, इंडस्ट्री माहिरों के मुताबिक किसी दौर में साइकिल टायर तक राशन कार्ड पर मिलते थे। तब सोमनाथ मैनी ने बड़े भाई बीसी मैनी के साथ टायर-ट्यूब बनाने का काम शुरु किया। देशभक्ति के जज्बे के चलते उन्होंने हिंदुस्तान टायर कंपनी बनाई। फिर नामचीन उद्यमियों के आग्रह पर हर किस्म के टू-व्हीलर के अलावा लाइट और हैवी फोर-व्हीलर के भी टायर बनाने शुरु किए। एक और खास बात, स्व.मैनी सन 1990 से 2005 तक तिरुपति बालाजी जाकर अपने सिर के बाल अर्पण करके आते थे। निधन से पहले तक उन्होंने यह धार्मिक-परंपरा कायम रखी। साल 2012 में जब उनकी एन्जियोग्राफी हुई तो उससे पहले वह तिरुपति बालाजी में ही थे। वहां उनको पता चला कि माहिर डॉक्टर मैथ्यूज मुंबई आए हैं। वह सीधे वहां गए और एन्जियोग्राफी कराने के बाद परिजनों को मैसेज दिया कि अगले दिन वह चंडीगढ़ आएंगे, उनको एयरपोर्ट से रिसीव कर लिया जाए। उनके हौंसले से परिजन तो हैरान हुए ही, उद्यमियों ने हालचाल लेने के दौरान कहा कि अब ‘टाइगर’ कैसा है, ऐसे थे हरदिल अजीज स्व.मैनी।

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