सियासी-माहिरों की राय, भारतीय जनता पार्टी को भारी पड़ गई कांग्रेसी नेताओं की भर्ती पार्टी में
चंडीगढ़, 26 जुलाई। पंजाब में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से सियासी-हलचल शुरु हो गई है। बीजेपी और शिअद के साथ आने की अटकलों के बाद पंजाब बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने एक और झटका दिया है।
गौरतलब है कि भाजपा के पंजाब कार्यकारी प्रधान शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी 2027 में राज्य विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उनकी यह तीखी प्रतिक्रिया पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ के बयान के बाद आई है। जिसमें उन्होंने बीजेपी के शिअद के साथ गठबंधन की हिमायत की थी। जाखड़ ने भाजपा नेतृत्व को आगाह करते कहा कि राज्य में कौमी-भाईचारे की विरोधी ताकतों के खिलाफ असंतोष उभर रहा है। बड़ा सवाल, क्या शर्मा, जाखड़ के बयान का खंडन कर रहे हैं या यह एक संयोग है ? या फिर पार्टी उनकी हिमायत में खड़ी हो गई है।
लोकसभा चुनावों पर नज़र डालें तो भाजपा को 18 प्रतिशत वोट मिले थे और लुधियाना पश्चिम उप-चुनाव के नतीजों देखें तो बीजेपी को अकाली दल से ज़्यादा वोट मिले थे।दूसरी ओर, कांग्रेस प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग का कहना है कि बीजेपी और अकाली दल के साथ आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि उनका यह बयान सियासी-जानकारों की नजर में समझ से परे है। दूसरी तरफ, सियासी-माहिरों की मानें तो भाजपा में कोई मतभेद हों या ना हों, पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस और अन्य दलों से भाजपा में आए शीर्ष नेताओं को परखने के बाद अब आत्म-चिंतन की स्थिति में है। वो अपने उन नेताओं पर भरोसा करता दिख रहा है, जो पार्टी में रहते हुए नीचे से ऊपर उठकर आए हैं। मसलन, तीन बार भाजपा अध्यक्ष रहे अश्वनी शर्मा पर एक बार फिर पार्टी नेतृत्व ने भरोसा जताया है।
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