भारत के उप राष्ट्रपति जगदीश धनखड़ और बॉलीवुड के सुपर-स्टार सलमान खान में आखिर क्या है रिश्ता ?
हाल ही में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए भारत के उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफ़ा देने वाले जगदीप धनखड़ एक वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ भी हैं। हालांकि कई लोगों ने उनके इस्तीफे के कारणों पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन उनके जीवन का एक ऐसा अध्याय है, जो कम ही लोग जानते हैं। वह 1998 के काले हिरण शिकार मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और अन्य आरोपियों के वकील थे और उन्हें ज़मानत दिलाने में मदद की थी।
काले हिरण का मामला राजस्थान के जोधपुर के पास कांकाणी गांव में सूरज बड़जात्या द्वारा निर्देशित और हिंदी सिनेमा के कुछ बड़े नामों वाली फिल्म की शूटिंग के दौरान सामने आया था। इसमें दो काले हिरणों का शिकार शामिल था, जो भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित एक लुप्तप्राय प्रजाति है। खैर, 1998 में, धनखड़ ने सलमान और उनके सह-कलाकारों, सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे की वकालत की थी। वह सलमान के लिए केस लड़ने वाले पहले वकील थे और उन्हें तथा अन्य आरोपियों को ज़मानत दिलाई थी। धनखड़ ने तब एक न्यूज़ पोर्टल से इस मामले में अपनी भूमिका स्वीकार की थी। जब उनसे सीधे पूछा गया कि क्या शूटिंग के दौरान अभिनेता शिकार पर गए थे तो उन्होंने कोई निश्चित जवाब देने से इंकार कर दिया। उन्होंने जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि सेट पर 300 लोग थे। किसी को कैसे पता नहीं चला कि घटना कब हुई। धनखड़ ने कहा, मैंने जज के सामने दलील दी कि सलमान ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया है और इसलिए उन्हें ज़मानत देने का पूरा कारण है। अदालत में, उन्होंने ग्रामीणों के बयानों की समय-सीमा और विश्वसनीयता पर संदेह जताया।
तब धनखड़ ने तर्क दिया, जब ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग हत्या में शामिल थे तो उन्होंने तीन हफ़्ते बाद शिकायत दर्ज कराने के बजाए तुरंत उनका पीछा क्यों नहीं किया। धनखड़ शुरुआती कानूनी कार्यवाही में शामिल थे, लेकिन दो दशक बाद जब मामला एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंचा, तब उनकी भूमिका फिर से उभरी। यहां गौरतलब है कि वर्षों की सुनवाई के बाद सलमान खान 2018 को दोषी ठहराया गया और जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया। जहां उन्होंने ज़मानत मिलने से पहले दो रातें बिताई। एक रिपोर्ट के अनुसार, ज़मानत की शर्तों में यह शर्त भी शामिल थी कि खान अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे और 7 मई, 2018 को अदालत में पेश होंगे। जहां तक धनखड़ की बात है, वह 2003 में भाजपा में शामिल हुए, 2016 तक इसके कानूनी मामलों के विभाग का नेतृत्व किया और 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। एनडीए के उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित होने के बाद, उन्होंने 2022 में राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया था।
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