सड़क हादसे में दिव्यांग हुए व्यक्ति को देरी से सही, मगर 24 साल बाद मिला इंसाफ

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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का अहम फरमान, दिव्यांग को दिया जाए 1.3 करोड़ रुपये का मुआवजा

चंडीगढ़ 16 फरवरी। सिटी ब्यूटीफुल के ड्‌डुमाजरा इलाके में करीब 24 साल पहले सड़क हादसे में एक साइकिल सवार दिव्यांग हो गया था। लंबे अर्से बाद ही सही, आखिरकार उसको इंसाफ मिल ही गया।

जानकारी के मुताबिक पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पीड़ित को दी जाने वाली मुआवजे की राशि को भी बढ़ा दिया। अदालत के फरमान के मुताबिक अब पीड़ित को 1.3 करोड़ का मुआवजे मिलेगा। वहीं, सड़क दुर्घटना के पीड़ित का उचित मुआवजा तय करने में 24 वर्षों की देरी पर अदालत ने कहा कि न्यायिक प्रणाली को आत्म-मूल्यांकन की आवश्यकता है। इसके लिए केवल व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए मुआवजा 7 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ 31 लाख 47 हजार 200 रुपये कर दिया।

याचिका दाखिल करते हुए गगनदीप उर्फ मोंटी ने बताया था कि वर्ष 2000 में एक ट्रक से हुए हादसे में वह पूरी तरह से दिव्यांग हो गए थे। वह साइकिल पर डड्डूमाजरा की तरफ जा रहे थे। उसी दौरान सीटीयू की वर्कशॉप के निकट एक चालक ने लापरवाही से ट्रक चलाते हुए उनको टक्कर मार दी दी। मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने 2004 में इस मामले में 7 लाख 62 हजार रुपये मुआवजा तय किया था। इसके खिलाफ 2005 में हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस अपील पर किसी ना किसी कारण से सालों तक सुनवाई नहीं हो पाई थी।

अदालत ने व्यवस्था पर कसा तंज :

हाईकोर्ट ने पीड़ित की विकलांगता को 100 प्रतिश मानते हुए अहम फैसला सुनाया। साथ ही उसके दिए 7 लाख रुपये के मुआवजे को बढ़ाकर 1.3 करोड़ रुपये कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में पीड़ित को दशकों उचित मुआवजे से वंचित रखा गया है, दुर्भाग्य से, इस तरह की देरी के लिए हमारी प्रणाली के अलावा किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

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