बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना को शरण देने के मामले में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे प्रदर्शनकारी
पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़कने से भारत के लिए भी
चिंताजनक स्थिति बनी है। दरअसल पिछले दौर में भारत और बांग्लादेश के बीच आर्थिक-सामाजिक तौर पर बेहतर रिश्ते बने थे। वहां हिंसक प्रदर्शनकारी यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि शेख हसीना भारत में बैठकर बांग्लादेश को अशांत करने की साजिशें रच रही हैं।
इस बाबत मीडिया रिपोर्ट्स और बीबीसी की ताजा रपट के मुताबिक बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के विरोधियों ने बुधवार रात उनके पिता शेख़ मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित घर धानमंडी-32 में आग लगा उसे ध्वस्त कर दिया। हिंसक हुए प्रदर्शनकारियों ने बुधवार रात और गुरुवार तड़के देश भर में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं के घरों में भी तोड़फोड़ की और शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया। दरअसल हिंसा भारत में मौजूद शेख़ हसीना के एक ऑनलाइन कार्यक्रम से ठीक पहले शुरू हुई। बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार ‘द डेली स्टार’ ने लिखा कि सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट के मुताबिक़ ये प्रदर्शन शेख़ हसीना की ‘बांग्लादेश विरोधी गतिविधियों’ की वजह से किया गया।
शेख़ हसीना के विरोधियों का कहना है वह भारत में बैठ कर बांग्लादेश विरोधी गतिविधियां चला रही हैं। पिछले साल बांग्लादेश में छात्रों के हिंसक प्रदर्शन के बाद शेख़ हसीना को देश छोड़ना पड़ा था और वह 5 अगस्त को भारत आ गई थीं। शेख़ हसीना की पार्टी की शाखा छात्र लीग ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें शेख़ हसीना को फेसबुक के जरिये बोलना था। कार्यक्रम के लिए रात नौ बजे का वक़्त तय किया गया था। इस कार्यक्रम की भनक मिलते ही प्रदर्शनकारियों ने ‘बुलडोजर प्रदर्शन’ का आह्वान कर दिया। इसका समय भी रात नौ बजे रखा गया था।
हालांकि भेदभाव विरोधी आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला की अपील पर रात आठ बजे ही सैकड़ों प्रदर्शनकारी फावड़ा और हथौडे़ लेकर धानमंडी-32 में घुस आए। इस पर ‘द डेली स्टार’ ने चश्मदीदों के हवाले से कहा कि उन्होंने वहां लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया। अख़बार के मुताबिक़ रात साढ़े नौ बजे इस बिल्डिंग में आग लगा दी गई और आधी रात के थोड़ी देर पहले एक क्रेन और एक खुदाई करने वाली मशीन वहां पहुंच गई। इसके बाद रात दो बजे के आसपास बिल्डिंग का एक हिस्सा गिरा दिया गया। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि वो लोग म्यूजियम में तब्दील कर दिए गए इस घर को इसलिए जला डालना चाहते थे, क्योंकि यह ‘फासीवाद’ का प्रतीक बन गया था। हसनत अब्दुल्ला ने अपने फेसबुक पोस्ट में शेख़ मुजीबुर्रहमान के घर को ‘फासीवाद की पवित्र भूमि’ कहा और इसे ध्वस्त कर देने की अपील की।
एक छात्र महमुदुर्रहमान ने कहा कि फासीवाद के प्रतीक’ इस घर को ध्वस्त करना जरूरी था, इसलिए वो इस प्रदर्शन में शामिल हो गए। एक और प्रदर्शनकारी आरफ़ीन के मुताबिक इस घर को बचाए रखने की कोई जरूरत नहीं थी। चूंकि हम छात्रों ने क्रांति के ज़रिए नई सरकार बनाई है, इसलिए इसे ध्वस्त करने में कोई बुराई नहीं है। यहां काबिलेजिक्र है कि शेख़ मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश का संस्थापक कहा जाता है। साल 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बना था, लेकिन 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी। शेख़ हसीना के विरोधी उन पर देश में राजनीतिक हत्याएं करने और बड़े पैमाने पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाते हैं। कहा जा रहा है कि धानमंडी-32 को ध्वस्त करने का काम अंतरिम सरकार की शह पर हुआ। हालांकि ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस के प्रवक्ता तालिबुर्रहमान का कहना है कि उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि सरकार ने इसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है।
प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद कुछ छात्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों ने उनको रोका, लेकिन जब वो तोड़फोड़ कर रहे थे तो उसने कोई कदम नहीं उठाया। सेना के लोग पेट्रोलिंग कर रहे थे, लेकिन वो छात्रों से सिर्फ बात कर रहे थे। धान मंडी-32 को जलाने के अलावा देश के कई हिस्सों में शेख़ हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं के घरों को भी तोड़ा गया। डेली स्टार के मुताबिक़ सैकड़ों प्रदर्शकारी उनके घरों के आगे ढाका या दिल्ली ढाका, ढाका और मुजीबवाद मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे।
कुस्तिया में पूर्व सांसद और अवामी लीग के संयुक्त महासचिव महबूब आलम हनीफ और कुस्तिया में अवामी लीग के अध्यक्ष सदर खान के घर भी गिरा दिए गए। चटगांव में प्रदर्शनकारियों ने शेख़ हसीना के ऑनलाइन भाषण के विरोध में मशाल जुलूस निकाला। उन्होंने चटगांव मेडिकल कॉलेज और जमाल ख़ान इलाके में लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को विकृत कर दिया। सिलहट में भी प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला, रंगपुर में रोकेया यूनिवर्सिटी में लगे शेख़ मुजीबुर्रहमान के भित्ति चित्रों को खराब किया गया। मेमनसिंह, बारीशाल, रंगपुर में भी अवामी लीग के नेताओं के घर तोड़े गए। शेख़ हसीना ने धान मंडी-32 को जलाने की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने प्रदर्शनकारियों की कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा कि वो चंद बुलडोजरों से देश की आजादी के खात्मे की ताकत नहीं रखते। वो एक इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं लेकन इतिहास को नहीं मिटा सकते। उनकी स्पीच बांग्लादेश अवामी लीग के फेसबुक पेज के जरिये प्रसारित की गई। उन्होंने कहा कि मैं देश के लोगों से इंसाफ़ की मांग करती हूं। गौरतलब है कि बुधवार को शेख़ हसीना की सरकार के पतन के छह महीने पूरे हो गए थे।
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