लुधियाना वैस्ट विस हल्के में उप चुनाव, बना है बड़ा सियासी-तनाव

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आप उम्मीदवार अरोड़ा की ‘स्ट्रेटजी’ के आगे केंद्रीय राज्यमंत्री मंत्री और सांसद वड़िंग साबित हो रहे ‘बौने’

लुधियाना, 22 अप्रैल। पंजाब की आर्थिक-राजधानी होने के साथ ही औद्योगिक नगरी लुधियाना को सूबे की राजनीतिक-धूरी माना जाता है। यहां का सियासी-इतिहास इस बात का गवाह रहा है। पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह इसी जिले से ताल्लुक रखते थे। उनके पौत्र व लुधियाना से कांग्रेसी सांसद रवनीत सिंह बिट्‌टू को केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी ने अपने पाले में किया। लुधियाना से पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उनको केंद्रीय राज्यमंत्री बनाया। दूसरी तरफ, पंजाब की गिद्दड़बाहा सीट से विधायक रहे अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में लुधियाना से उम्मीदवार बनाया। वह भाजपा प्रत्याशी बिट्‌टू को शिकस्त देकर सांसद बने।

आप का सियासी-दांव, विपक्ष पर भारी !

अब इसी लुधियाना की हॉट-सीट वैस्ट विस हल्के में उप चुनाव हो रहा है। जहां पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले बड़ा सियासी-दांव खेला। आप ने अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को इसी सीट से सबसे पहले उम्मीदवार बना दिया। सियासी जानकारों और वोटरों की मानें तो कांग्रेस राज में लुधियाना से राज्यसभा सांसद रहे सतपाल मित्तल के बाद अरोड़ा की तुलना उनके सियासी-कद से की जा रही है। हालांकि राज्यसभा सांसद को डमी के तौर पर देखा जाता है। जबकि केंद्रीय राज्यमंत्री होने के बावजूद बिट्टू का सियासी-ग्राफ मतदाता उम्मीद के मुताबिक कम आंक रहे हैं। इसी तरह लोकसभा चुनाव में लुधियाना से कांग्रेस प्रदेश प्रधान वड़िंग को जिताने वाले स्थानीय मतदाता उनसे संतुष्ट नहीं नजर आ रहे।

वोटरों की राय, अरोड़ा ने बनाई खास पहचान :

इस मामले में ‘यूटर्न-टाइम’ ने वोटरों की नब्ज टटोलने को एक सर्वे किया। जिसमें उन्होंने अपने नाम ना बताने की शर्त पर साफतौर पर कहा कि केंद्रीय मंत्री के पास बड़ी पावर होती है, लेकिन बीजेपी से लोकसभा चुनाव हारे और फिर भी राज्यसभा सांसद बने बिट्‌टू लुधियानवियों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। कमोबेश इसी तरह, लोकसभा चुनाव जीतकर यहां से सांसद बने राजा वड़िंग ने भी लुधियानवियों को निराश ही किया। दूसरी तरफ, आप से राज्यसभा सांसद बनने के बाद से ही अरोड़ा लगातार लुधियाना में सक्रिय रहे। उन्होंने समाज के हर वर्ग के मसलों को पूरी शिद्दत से संसद में उठाया। कई अहम समस्याएं उनके चलते हल भी हो गईं।

पहली बार, कारोबारी खुलकर अरोड़ा के साथ :

आमतौर पर यह परंपरा रही है कि कारोबारी वर्ग चुनावों के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार के साथ खुलकर नहीं चलता है। लुधियाना वैस्ट उप चुनाव पर नजर रखने वाले माहिरों की मानें तो पहली बार शहर के उद्यमी भी खुलकर आप उम्मीदवार अरोड़ा के साथ खड़े हैं। जानकारों का मानना है कि यह दरअसल सत्ताधारी पार्टी का दबाव या और कोई वजह नहीं है, राज्यसभा सांसद बनने के बाद से ही अरोड़ा समाज के सभी वर्गों के साथ ही उद्यमियों की समस्याओं को लेकर केंद्र और राज्य सरकार से लगातार संपर्क में रहे। नतीजतन कई प्रमुख समस्याएं उन्होंने हल भी कराई। लिहाजा उनको समाज के अन्य वर्गों के साथ ही उद्योग-जगत का भी खुला समर्थन मिल रहा है।

सीआईआई ने किया अरोड़ा का समर्थन :

आप उम्मीदवार अरोड़ा के समर्थन में कनफेडरेशन ऑफ इंडियन  इंडस्ट्री (सीआईआई) ने प्रोग्राम रखा। जिसमें ओसवाल समूह से कमल ओसवाल, गंगा एक्रोवूल्स लिमिटेड से अमित थापर, नामी उद्योगपति संदीप जैन, एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री पंजाब से राहुल आहूजा, सीआईसीयू से उपकार सिंह आहूजा के साथ ही अन्य नामी उद्यमी केके सेठ, सुभाष लाकड़ा, अर्शप्रीत सिंह साहनी, राकेश गुप्ता, अश्विन नागपाल, लोकेश जैन, हरप्रीत निब्बर और गौतम ढल्ल ने भी अपने विचार रखे।

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