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6 माह बाद हो पायेगें निकायों के चुनाव,फिर से सीटें होगी आरक्षित

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हरियाना/यूटर्न/24 नवंबर: प्रदेश के 35 निकायों में जनता का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इन निकायों के कार्यकाल को खत्म हुए एक से चार साल बीत चुके हैं। अब सरकार भले ही जल्द चुनाव कराने का दावा कर रही हो, मगर हकीकत यह है कि अभी कम से कम छह महीने का और समय लग सकता है। दरअसल, पिछले हफते ही सरकार ने विधानसभा में निगम, पालिका और पंचायती राज में संशोधन विधेयक पारित किया है। इस विधेयक के तहत तीनों निकाय संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग बी के प्रतिनिधियों की जनसंखया के अनुपात में सीटें आरक्षित की जाएंगी। लिहाजा अब निकाय विभाग को नए सिरे से इन 35 समेत अन्य सभी निकायों में नए सिरे से सीटों को आरक्षित करना होगा। इसमें कम से कम तीन से चार महीने का समय लग सकता है। उसके बाद सरकार चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखेगी। आयोग अपनी तैयारी करेगा, जिसमें डेढ़ से दो महीने का समय लग सकता है। जिन निकायों के चुनाव लंबित हैं, उनमें आठ नगर निगम, चार नगर परिषद और 23 नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव परिसीमन, लोकसभा-विधानसभा चुनाव और आरक्षण में फंसे रहे। पिछले साल एक एनजीओ जनाग्रह ने अपने सर्वे में पाया था कि गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत देश के 1400 से अधिक शहरों में निर्वाचित मेयर व पार्षद नहीं हैं। जनता के प्रतिनिधि नहीं होने से शहरों में समस्याओं के अंबार हैं।बारिश में जलभराव, टूटी स्ट्रीट लाइट और कूड़े के ढेर की शिकायतों के लिए लोगों को अधिकारियों पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। जो कभी मिलते हैं तो कभी नहीं। मिल भी गए तो शिकायतों पर गंभीर नहीं हुए। जबकि निर्वाचित प्रतिनिधि आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। विधायक के बजाय पार्षद आसानी से उपलब्ध होते हैं। पिछले दिनों हुए विधानसभा सत्र के दौरान भी विधायकों ने गंदगी व साफ-सफाई के मुद्दे उठाए थे। वहीं, मुखयमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि निगम चुनाव जल्द करवाए जाएंगे। चुनाव के लिए भाजपा के कार्यकर्ता तैयार हैं।
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