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नगर निगम में छोटे बिलों पर हो रहा करोड़ों का खेल, ओएंडएम सेल के अधिकारी व राजनेता शामिल

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लुधियाना 16 सितंबर। लुधियाना नगर निगम द्वारा शहर में तो अवैध बिल्डिगें बनवाने में बड़ा खेल किया जा रहा है। वहीं अब एक नया मामला सामने आया है। चर्चा है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा राजनेताओं के साथ मिलकर विभाग में ही छोटे-छोटे बिल के जरिए करोड़ों रुपए का खेल किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी की सरकार में सरकारी तंत्र द्वारा आम बिलों पर ही ठगी शुरु कर दी गई है। दरअसल, नगर निगम के ओएंडएम सेल के जेई से लेकर एसई तक के अधिकारियों द्वारा यह फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं। यहीं नहीं इसमें जोनल कमिश्नर से लेकर ज्वाइंट कमिश्नर लेवल तक के अधिकारी भी शामिल है। इन्हीं बिल की आढ़ में रोजाना लाखों और हर महीने करोड़ों रुपए का चुना पंजाब सरकार को लग रहा है। जानकारी के अनुसार ओएंडएम सेल से अधिकारियों द्वारा ऑफिस के फुटकल खर्चे दिखाकर रोजाना 25 से 30 बिल बनाए जा रहे हैं। यह बिल ज्यादा बड़ी रकम के नहीं बल्कि 19 हजार तक बनाए जाते हैं। कम रकम के होने के चलते यह बिल नीचे सत्र के अधिकारियों द्वारा ही पास कर दिए जाते हैं। इन्हीं के जरिए विभाग में रोजाना लाखों रुपए का हेरफेर किया जा रहा है।

नीचे सत्र के अधिकारियों के पास होती है अथॉरिटी
जानकारी के अनुसार नगर निगम के नियम है कि 20 हजार के ऊपर तक के बिल के लिए नगर निगम कमिश्नर व उच्च अधिकारियों की परमिशन लेनी पड़ती है। क्योंकि उसके लिए टेंडर डालना पड़ता है। लेकिन 20 हजार तक के नीचे वाले बिल पास करने के लिए जोनल कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर व ज्वाइंट कमिश्नर के पास अथॉरिटी होती है। उनके हस्ताक्षर पर यह बिल पास हो जाते हैं। इसी के चलते यह अधिकारी एसई से लेकर जेई तक के अफसरों के साथ मिलकर हेरफेर कर रहे हैं।

हर अधिकारी को बांटे जाते हैं बिल, राजनेताओं का संरक्षण
चर्चा है कि इस हेरफेर में अकेले अधिकारी ही शामिल नहीं है, बल्कि 2-3 राजनेता भी शामिल है। जिन्हें इस ठगी का कुछ हिस्सा दे दिया जाता है। जिसके चलते वह कुछ बोलते नहीं है। चर्चा है कि ओएंडएम सैल की और से रोजाना ऑफिस के फुटकल व अन्य खर्च के लिए बिल बनाए जाते हैं। वह बिल एसई, एक्सियन, एसडीओ व जेई की और से मिलीभगत कर ज्वाइंट कमिश्नर, जोनल कमिश्नर, एडिशनल कमिश्नर को भेजे जाते हैं। हर अधिकारी को 10 से 15 बिल दिए जाते हैं। जिन्हें वह अपने हस्ताक्षर कर पास करते हैं। जिसके बाद उक्त बिलों के जरिए आने वाले पैसे को अधिकारी आपस में बांट लेते हैं।

हर महीने करीब 2 करोड़ हो रही ठगी
चर्चा है कि इन बिलों में 80 प्रतिशत तो ओएंडएम सेल के काटे जाते हैं। जबकि 20 प्रतिशत बिल बीएंडआर सेल के भी काटे जाते हैं। दोनों विभागों के जरिए ठगी हो रही है। चर्चा है कि  रोजाना 20 से 30 बिल काटे जाते हैं। इसके मुताबिक अगर रोजाना 19 हजार के 30 बिल भी काटे गए तो 5.70 लाख रुपए बनते हैं। वहीं महीने का देखे तो 1.71 करोड़ रुपए बनते हैं। जिसके चलते चर्चा है कि हर महीने कम से कम दो करोड़ रुपए तक की ठगी की जा रही है। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि पंजाब सरकार को यह दिखाई ही नहीं दे रहा।

2-3 कंपनियां भी ठगी के खेल में शामिल
चर्चा है कि शक न हो इस लिए कई बिल के जरिए सामान भी मंगवाया जाता है। लेकिन वह भी पूरा नहीं होता। बल्कि वह सामान जाता कहा है, इसका भी किसी को नहीं पता है। यह चर्चा है कि इन बिल को 2-3 कंपनियों के नाम पर काटा जाता है। उन कंपनियों को बिल भेजा जाता है और फिर वह इसमें ठगी करते हैं। इसमें कंपनियों की भी हिस्सेदारी होती है। यह बिल सिर्फ कागजों में दिखाए जाते हैं। असलियत में तो इनके जरिए अधिकारी अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।

नए कमिश्नर पकड़ सकेगें ठगी का खेल
वहीं सोमवार को ही नगर निगम के नए कमिश्नर आदित्य डेचलवाल की और से पदभार संभाला गया है। अब देखना होगा कि क्या नए कमिश्नर इस ठगी के खेल को पकड़ सकेगें या नहीं। हालाकि यह खेल पूर्व निगम कमिश्नर के समय भी चल रहा था। लेकिन वह इसे पकड़ नहीं सके। अब नए कमिश्नर इस पर लगाम लगा सकेगें या उन्हें भी अधिकारी इसका पता नहीं चलने देंगे, यह समय ही बताएगा।

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