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जालंधर : आशु के बाद चन्नी से मनमुटाव से चिंतित कांग्रेस प्रधान वड़िंग हैं बैकफुट पर !

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अनुभवी होते जा रहे वड़िंग राजनीतिक-महाभारत के चक्रव्यूह में खुद को फंसते देख पड़ रहे हैं नरम

नदीम अंसारी

लुधियाना 20 जुलाई। जैसा कि जगजाहिर है, पंजाब कांग्रेस में सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा। कांग्रेस प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग फिलहाल विवादों के केंद्र-बिंदु बने हुए हैं। दरअसल उनको लोकसभा चुनाव में लुधियाना सीट से उम्मीदवार बनाते ही पार्टी में गुटबाजी फिर तेज हो गई थी। इस सीट से टिकट के सबसे बड़े दावेदार सूबे के पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु थे। तत्कालीन सांसद रवनीत बिट्‌टू के बीजेपी में जाते ही उनको टिकट मिलने का रास्ता बिल्कुल साफ माना जा रहा था।

एमपी बने तो आशु से तल्खी बढ़ी : राजा वड़िंग लोस चुनाव जीतकर सांसद बने तो उनकी आशु के साथ अंदरखाते चल रही खींचतान खुलकर सामने आ गई। इसी बीच जालंधर वैस्ट विधानसभा हल्के में उप चुनाव हो गए। उसके नतीजे सामने आए तो कांग्रेस इस सीट पर लोस चुनाव में पहले स्थान पर रहने के बावजूद तीसरे स्थान पर खिसक गई। हार का ठीकरा इशारों में ही चन्नी और वड़िंग ने एक-दूसरे के सिर फोड़ा तो इन दोनों के रिश्तों में भी तल्खी आती चली गई।

गुटबाजी बढ़ती गई, ज्यों-ज्यों बयानबाजी हुई : पंजाब कांग्रेस में अघोषित दो गुट फिर बन चुके हैं। जिनके बीच बयानबाजी लगातार जारी है। लुधियाना में सांसद आफिस के उद्घाटन के मौके पर भी आशु नहीं पहुंचे तो कांग्रेस और मीडिया में बड़े सवाल उठे। लिहाजा इस मुद्दे पर बैकफुट पर दिखे कांग्रेस प्रदेश प्रधान वड़िंग ने हताशा वाले लहजे में बस इतना ही कहा कि वह तो किसी से नाराज नहीं हैं। कुल मिलाकर उन्होंने अपरोक्ष तौर पर आशु से चले वाक-युद्ध को लेकर अपनी ओर से विराम की घोषणा कर दी। हालांकि हालात फिर भी सुधरते नजर नहीं आ रहे।

चन्नी ने भी खोला मोर्चा तो बढ़ी चिंता : ऐसे में आशु की तरह ही दूसरे मोर्चे पर चन्नी से रिश्तों में तल्खी ने कांग्रेस प्रदेश प्रधान वड़िंग की चिंता दोगुनी कर दी थी। लिहाजा गत दिवस लुधियाना में ही उन्होंने बड़ा अहम बयान दिया। जिसमें उन्होंने जालंधर के उप चुनाव में हार की नैतिक-जिम्मेदारी खुद ले डाली। जानकार इसका सीधा मतलब यही निकाल रहे हैं कि कांग्रेस में काफी समय रहकर वड़िंग खासे अनुभवी हो चुके हैं। लिहाजा वह इस राजनीतिक-महाभारत में अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में फंसकर ‘शहीद’ नहीं होना चाहते हैं।

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