कन्या भ्रूण हत्या पर अंकुश लगाने के प्रयासों को और तेज करने के लिए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने मंगलवार को राज्य के लिए अगले वर्ष तक लिंगानुपात में सुधार के मामले में राष्ट्रीय औसत को पार करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने चंडीगढ़ में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम (पीसी-पीएनडीटी) पर आयोजित राज्य स्तरीय क्षमता निर्माण कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए सभी सिविल सर्जनों और स्वास्थ्य कर्मियों, यहाँ तक कि आशा कार्यकर्ताओं से भी, गर्भावस्था की निगरानी और इस अनैतिक प्रथा को रोकने के लिए निरंतर सतर्कता बरतने का आह्वान किया। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से प्रत्येक गर्भवती महिला की सक्रिय निगरानी सुनिश्चित करने का आह्वान किया और कहा कि बालिकाओं की हत्या से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता।
लिंग निर्धारण के लिए चिकित्सा तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए 1994 में लागू और 2003 में और सशक्त बनाए गए पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री महोदय ने ज़ोर देकर कहा कि यह कानून तभी प्रभावी है जब समाज इसके पीछे खड़ा हो। उन्होंने प्रतिभागियों को याद दिलाया कि किसी भी व्यक्ति को अजन्मे बच्चे का लिंग जानने की अनुमति नहीं है और किसी भी डॉक्टर या क्लिनिक को इसका खुलासा करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई भी कृत्य गंभीर अपराध है और इसके लिए कारावास और लाइसेंस रद्द करने सहित कठोर दंड का प्रावधान है।
डॉ. बलबीर सिंह ने चिंता व्यक्त की कि पंजाब ऐतिहासिक रूप से लड़कों और लड़कियों की संख्या के बीच चिंताजनक असंतुलन का सामना करता रहा है, जो सामाजिक भेदभाव, प्रतिगामी मानसिकता और कन्या भ्रूण हत्या की अमानवीय प्रथा से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के तहत कानून के सख्त पालन, लक्षित निगरानी, छापेमारी, पंजीकरण प्रणाली और निरंतर जागरूकता अभियानों के कारण स्थिति में सुधार होने लगा है। नागरिक पंजीकरण प्रणाली का हवाला देते हुए, उन्होंने बताया कि जन्म के समय पंजाब का लिंगानुपात 2021-22 में प्रति 1000 पुरुषों पर 906 महिलाओं से बढ़कर 2023 में 922 और 2024 में 921 हो गया है, जो राज्य भर में समन्वित प्रयासों के कारण 16 अंकों की वृद्धि दर्शाता है।
मंत्री ने बताया कि पंजाब में वर्तमान में 2,092 पंजीकृत अल्ट्रासाउंड केंद्र हैं, जिनका 2025-26 के दौरान 2,703 बार निरीक्षण किया गया और जिन 13 केंद्रों में विसंगतियाँ पाई गईं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। उन्होंने बताया कि कार्यान्वयन में सतर्कता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिला सलाहकार समितियों की 63 बैठकें आयोजित की गईं।
उन्होंने दोहराया कि पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें लाइसेंस रद्द करने से लेकर कानूनी दंड तक शामिल हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि अब आम आदमी क्लीनिक जैसे प्राथमिक स्तर के संस्थानों में मातृ निदान सेवाएँ आसानी से उपलब्ध हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस विस्तार से राज्य की गर्भावस्था की निगरानी और अधिक प्रभावी ढंग से करने की क्षमता मज़बूत हुई है।
सामाजिक परिवर्तन का आह्वान करते हुए, डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि बेटी के जन्म का जश्न मनाया जाना चाहिए और उसकी शिक्षा, प्रगति और सुरक्षा को सामूहिक ज़िम्मेदारी माना जाना चाहिए। उन्होंने समुदायों से आग्रह किया कि वे बदलाव की प्रेरणा देने के लिए सफल लड़कियों को आदर्श के रूप में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा, “लड़की सिर्फ़ एक लिंग नहीं है—वह परिवार का सम्मान, समाज की आत्मा और मानवता का गौरव है।” उन्होंने आगे कहा कि गर्भ में पल रही किसी बालिका को नुकसान पहुँचाने की सोच भी न सिर्फ़ एक परिवार, बल्कि पूरे समाज के संतुलन को बिगाड़ देती है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और पीसी-पीएनडीटी अधिनियम जैसे अभियान सामाजिक रूप से प्रगतिशील भविष्य की रीढ़ हैं और आज की कार्यशाला का असली उद्देश्य मानसिकता में बदलाव लाना है।
डॉ. बलबीर सिंह ने बेहतर लिंगानुपात वाले जिलों को सम्मानित किया तथा उपस्थित सभी लोगों से सामूहिक शपथ लेने का आग्रह किया कि वे न तो अजन्मे बच्चे का लिंग पता लगाएंगे और न ही किसी को ऐसा करने देंगे, वे किसी भी रूप में लड़के और लड़कियों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे तथा पंजाब से कन्या भ्रूण हत्या को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए जागरूकता फैलाने तथा जनांदोलन बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
पीसी-पीएनडीटी निदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार डॉ. इंद्रनील दास, एडवोकेट पीसी-पीएनडीटी इफात हामिद और कार्यक्रम प्रबंधन विशेषज्ञ यूएनएफपीए अनुजा गुलाटी ने प्रतिभागियों को पीसी-पीएनडीटी अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया।
कार्यशाला में विशेष सचिव एवं एमडी एनएचएम घनश्याम थोरी, निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. हितिंदर कौर, उप निदेशक डॉ. नवजोत कौर, सहायक निदेशक डॉ. हरप्रीत कौर और कार्यक्रम अधिकारी डॉ. आरती भी उपस्थित थीं।
