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हरियाने में कुंवारों ने क्यो किया चुनाव का बहिष्कार,दुल्हन नही तो वोट नही

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चंडीगढ/यूटर्न /26 मई: शनिवार को जब हरियाणा के नागरिक मतदान करने के लिए कतार में खड़े हुए, तो कुवंारों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। उनका कहना था कि दुल्हन नहीं, तो मतदान नहीं, नारे पर अड़े रहे। पहले महिलाओं और अब राजनेताओं के ठुकराए जाने के बाद, उन्हें लगा कि मतदान का बहिष्कार ही उनका विरोध दर्ज कराने का एकमात्र तरीका है। समस्त अविवाहित पुरुष समाज (स्नातक संघ) और एकीकृत रंडा संघ (विधुर संघ) के अध्यक्ष कहते हैं कि उन लोगों का बहुत ज्यादा अपमान हुआ है। हरियाणा के रेवाड़ी जिले के मायरा पियाऊ गांव के 43 वर्षीय निवासी वीरेंद्र सांगवान ने मनोहर लाल खट्टर सरकार के 45-60 वर्ष की आयु के अविवाहित लोगों के लिए 3,000 रुपये मासिक पेंशन के अधूरे वादे का जिक्र किया।
1.25 लाख विधुर और अविवाहित रजिस्टर
वीरेंद्र सांगवान ने कहा कि अकेले उनके गांव में ही करीब 120 पुरुष अविवाहित हैं और उन्हें अस्वीकृत माना जाता है। कुछ बड़े गांव हैं जहां यह संखया 500 पुरुषों तक है। वास्तव में, दोनों अविवाहित संघों में कुल मिलाकर 1.25 लाख पंजीकृत सदस्य हैं। हरियाणा में 40 वर्ष से अधिक आयु के अविवाहित/विधुर पुरुषों की अनुमानित आबादी 7 लाख है।
इसलिए बिगड़ रहा लिंग अनुपात
यह पहली बार नहीं है जब दुल्हनों की कमी चुनावी मुद्दा बनी है। 2014 में मतदाताओं ने बहू दिलाओ, वोट पाओ जैसे नारे लगाए थे, लेकिन राजनेताओं ने कभी ऐसा नहीं किया, यह समझ में आता है क्योंकि पत्नी कोई मुफत की चीज नहीं है जिसे हर किसी को दिया जा सके। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दुल्हन की कमी को मुखय रूप से महिलाओं की बढ़ती आकांक्षाएं जिंमेदार मानी जाती हैं। हरियाणा का पारंपरिक इतिहास है कि बेटों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे यहां का लिंग अनुपात बिगड़ गया है और युवा दुल्हनों से वंचित हो रहे हैं।
हरियाणा का लिंग अनुपात
हरियाणा में लडक़े और लड़कियों के बीच का अंतर 2011 से चिंता का कारण रहा है, जब सरकारी आंकड़ों से पता चला कि राज्य में देश के सबसे खराब लिंगानुपातों में से एक है। यहां 1000 लडक़ों पर 831 महिलाएं हैं। 2015 में, केंद्र ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया। तमाम कार्यक्रम चलाए गए, जिसके परिणाम उत्साहजनक थे। हरियाणा का जन्म लिंग अनुपात 2016-2018 में बढक़र 843 और फिर 2017-2019 में 865 हो गया। हालांकि, एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार यह 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाओं के राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। हरियाणा सरकार के नवीनतम आंकड़ों से और भी बुरी खबर आई। यह दर्शाता है कि 2023 में 22 में से 9 जिलों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई। हालांकि विशेषज्ञों का सुझाव है कि इसे जनगणना के आंकड़ों से सत्यापित करने की आवश्यकता है।
लिंग परिक्षण पर नहीं लग पा रही लगाम
बालिका बचाओ के पोस्टर पूरे राज्य में सर्वव्यापी हैं, निवासियों का कहना है कि अल्ट्रासाउंड मशीनों, पोर्टेबल गर्भपात किट और ओवर-द-काउंटर गर्भनिरोधक गोलियों वाली मोबाइल वैन ने लिंग चयन और कन्या भ्भरूण को समाप्त करना आसान बना दिया है। वे शिकायत करते हैं कि अवैध परीक्षण करने वाले डॉक्टरों पर छापे पड़ते हैं लेकिन उन्हें जमानत मिल जाती है। वे कुछ दिनों के भीतर काम पर लौट आते हैं।
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